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31 December 2024   Admin Desk



2024 में ग्लोबल रैंकिंग में भारत की प्रगति

भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम आत्मविश्वास के साथ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। प्रतिस्पर्धी होने और वैश्विक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का भारत का दृढ़ संकल्प पिछले दशक में विभिन्न वैश्विक रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार के जरिए स्पष्ट हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, देश ने लॉजिस्टिक्स से लेकर नवाचार, सुरक्षा और साइबर सुरक्षा तक के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले दस वर्षों की इन उपलब्धियों का संबंध केवल बेहतर रैंकिंग से ही नहीं हैं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था में भारत की भूमिका का नए सिरे से र्कल्पना करने से भी है।

वर्ष 2015 से लेकर 2018 के बीच व्यवसाय करने में आसानी से संबंधित सूचकांक (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स) में 42 स्थानों की लंबी छलांग ने भारत को कम अनुपालन एवं अधिक अवसरों वाले व्यावसायिक माहौल के साथ निवेश के एक अनुकूल गंतव्य के रूप में स्थापित किया है। इसी तरह, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (ग्लोबल कम्पेटिटिव्नेस इंडेक्स) में 2014 में 71वें स्थान से छलांग लगाकर 2018 में 39वें स्थान पर पहुंचने की भारत की कवायद ने बुनियादी ढांचे, बाजार के आकार और नवाचार के क्षेत्र में इसकी प्रगति को रेखांकित किया है। वर्ष 2022 में, भारत के विमानन सुरक्षा निरीक्षण तंत्र ने चीन, इज़राइल और डेनमार्क जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए 102वें स्थान से 48वें स्थान पर आने की लंबी छलांग लगाई। ये उपलब्धियां अपनी वैश्विक स्थिति एवं प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने की दिशा में भारत के निरंतर प्रयासों का प्रमाण हैं।

वर्ष 2024 में, वैश्विक मंच पर भारत की जबरदस्त प्रगति कम उल्लेखनीय नहीं रही है। प्रमुख रैंकिंग में स्थान और उपलब्धियां इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती हैं। सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार वाले शीर्ष चार देशों में स्थान हासिल करने से लेकर वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) में कई पायदान ऊपर चढ़ने तक, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की प्रगति परिवर्तनकारी रही है।

आर्थिक विकास और विदेशी मुद्रा भंडार

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के आर्थिक विकास की गति शानदार रही है। लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स) 2023 में 16 स्थानों के उल्लेखनीय सुधार के साथ भारत की छलांग से इसकी व्यापार दक्षता बेहतर हुई है। कुल 139 देशों वाले लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत अब 38वें स्थान पर है। यह छलांग व्यापार और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत को रेखांकित करती है। इसके अलावा, वैश्विक व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र बनकर जहाजों के लौटने (टर्नअराउंड) में लगने वाले समय के मामले में भारत कई विकसित देशों से आगे निकल गया है। सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाहों की क्षमता में वृद्धि हुई है, बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ा है और बंदरगाहों की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। भारत के प्रमुख बंदरगाहों पर जहाजों के लौटने (टर्नअराउंड) में लगने वाला समय 2013-14 में 93.59 घंटे से 48.65 प्रतिशत तक कम होकर 2023-24 में 48.06 घंटे हो गया है।

इसके अलावा, भारत ने एक और असाधारण उपलब्धि हासिल कर ली है। इसका विदेशी मुद्रा भंडार 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो गया है, जिससे देश वैश्विक स्तर पर चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथे स्थान पर पहुंच गया है।  एक और प्रभावशाली उपलब्धि के रूप में, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (ग्लोबल कम्पेटिटिव्नेस इंडेक्स) 2024 में भारत का 39वें स्थान पर पहुंचना आर्थिक सुधारों पर सरकार के निरंतर ध्यान को रेखांकित करता है। इससे वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति काफी मजबूत हुई है।

पिछले दशक (अप्रैल 2014 से सितंबर 2024) में, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का कुल प्रवाह 709.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा जोकि पिछले 24 वर्षों में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह का 68.69 प्रतिशत है।

वर्ष 2024 में, भारत चीन के बाद कच्चे इस्पात का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया। इसने मोबाइल फोन के उत्पादन में वैश्विक स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया, जिससे एक प्रमुख मैन्यूफैक्चरिंग केन्द्र के रूप में इसकी स्थिति मजबूत हुई।

नवाचार के मामले में एक अग्रणी देश के रूप में उभार 

वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) 2024 इस प्रगति का स्पष्ट प्रमाण है, क्योंकि भारत 2015 में 81वें स्थान से आगे बढ़ते हुए 39वें स्थान पर पहुंच गया है। यह नवाचार के एक वैश्विक केन्द्र के रूप में भारत के उभार को दर्शाता है। प्रौद्योगिकी के मामले में अपने कद को और बढ़ाते हुए, भारत नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2024 में 11 स्थान ऊपर चढ़कर अब शीर्ष के 50 देशों में शामिल हो गया है। भारत को एआई से जुड़ी प्रतिभा और आईसीटी से जुड़ी सेवाओं के निर्यात में पहला, एआई से संबंधित वैज्ञानिक प्रकाशनों में पहला, एफटीटीएच की सदस्यता एवं मोबाइल इंटरनेट की ट्रैफिक के मामले में दूसरा और घरेलू बाजार के पैमाने के मामले में तीसरा स्थान दिया गया है। यह छलांग डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों को रेखांकित करती है। भारत ने पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन: डब्ल्यूआईपीओ 2024 रिपोर्ट में शीर्ष 10 देशों में स्थान हासिल किया, जोकि बौद्धिक संपदा के मामले में देश के बढ़ते नेतृत्व और तकनीकी प्रगति को आगे बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि करती है।  इतना ही नहीं, “अमूर्त परिसंपत्ति तीव्रता” (इंटैन्जबल एसेट इंटेंसिटी) के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर सातवें स्थान पर है, जो पेटेंट और ट्रेडमार्क जैसी गैर-भौतिक परिसंपत्तियों के मामले में इसकी ताकत को रेखांकित करता है।

भारत की उच्च शिक्षा को वैश्विक पहचान 

भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ है। देश ने वैश्विक शैक्षणिक रैंकिंग में महत्वपूर्ण प्रगति की है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग: एशिया 2025 भारत की बढ़ती हैसियत को रेखांकित करता है और इसके सात संस्थान अब एशिया के शीर्ष 100 संस्थानों में शामिल हैं। इतना ही नहीं, जापान (115) और चीन (135) को पीछे छोड़ते हुए, 984 संस्थानों में से 162 विश्वविद्यालयों की सूची के साथ भारत लगातार दो बार क्यूएस रैंकिंग में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बन गया। यह उपलब्धि विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने और उत्कृष्ट अनुसंधान को बढ़ावा देने के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थान भारत एवं वैश्विक स्तर पर उच्च मानक स्थापित कर रहे हैं। शिक्षा से संबंधित बुनियादी ढांचे में सुधार और नवाचार को बढ़ावा देने पर दिए जा रहे ध्यान के साथ, भारत उच्च शिक्षा का एक अग्रणी केन्द्र बनने की दिशा में अग्रसर है।

भारत द्वारा साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता  

पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में डिजिटल बुनियादी ढांचे के मामले में तेजी से विकास हुआ है। वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक 2024 में टियर 1 का दर्जा हासिल करने की इसकी उपलब्धि इस बदलाव को रेखांकित करती है। भारत ने 100 में से 98.49 अंक हासिल किए, जो इसे साइबर सुरक्षा संबंधी तत्परता के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल करता है। यह उपलब्धि व्यवसायों और नागरिकों के लिए एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण बनाने की ओर सरकार के निरंतर ध्यान को दर्शाता है। मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचे के निर्माण पर मोदी सरकार के जोर को ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहल के माध्यम से देखा जा सकता है, जिसने न केवल इंटरनेट के प्रसार का विस्तार किया बल्कि ऑनलाइन सुरक्षा बढ़ाने के उपाय भी पेश किए। एनसीआईआईपीसी और आई4सी की स्थापना जैसे पिछले प्रयासों ने देश की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे भारत वैश्विक साइबर सुरक्षा परिदृश्य में एक अग्रणी देश बन गया है।

लैंगिक समानता

लैंगिक समानता के मामले में भारत की उल्लेखनीय प्रगति 2022 के लैंगिक असमानता सूचकांक (जेंडर इनिक्वालिटी इंडेक्स) से स्पष्ट होती है। इस सूचकांक में भारत  2021 में 122वें स्थान से 14 पायदान ऊपर चढ़कर 108वें स्थान पर पहुंच गया है।  यह प्रगति ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसी पहल के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के प्रति मोदी सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह पहल शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और महिला सुरक्षा पर केन्द्रित है। वर्ष 2023-2024 तक, भारत इस दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है और अधिक संख्या में महिलाएं श्रमशक्ति एवं राजनीतिक नेतृत्व की भूमिकाओं में योगदान दे रही हैं। अपेक्षाकृत अधिक समावेशी समाज का प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण इन बदलावों को आगे बढ़ा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित हो रहा है कि सभी क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को तेजी से पहचाना व उसका समर्थन किया जा रहा है।

एक समृद्ध पर्यटन क्षेत्र

भारत का पर्यटन क्षेत्र फल-फूल रहा है। यात्रा एवं पर्यटन विकास सूचकांक (टीटीडीआई) 2024 में भारत 39वें स्थान पर है। ‘अतुल्य भारत’ और ‘देखो अपना देश’ जैसी पहलों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन, दोनों को बढ़ावा दिया है। वर्ष 2024 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना के तहत पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी 1400 करोड़ रुपये (168.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक मूल्य की 52 परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। एशिया पावर इंडेक्स 2024 में जापान को पछाड़कर भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। यह भारत के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को दर्शाता है, जो एक्ट ईस्ट पॉलिसी और वैश्विक मंचों पर सक्रिय नेतृत्व जैसी रणनीतियों से प्रेरित है। मोदी के नेतृत्व में वैश्विक मंच पर भारत की उपस्थिति और शक्ति लगातार मजबूत हो रही है।



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