नई दिल्ली New Delhi: केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल कल (12 जनवरी 2024) अजारा, गुवाहाटी में क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान और एकीकृत आयुष कल्याण केंद्र के स्थायी परिसर की आधारशिला रखेंगे। इस परियोजना के लिए 53.89 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं।
इस संस्थान की स्थापना 1984 में गुवाहाटी के ओडालबकरा में किराए के भवन में होम्योपैथी की नैदानिक अनुसंधान इकाई के रूप में हुई थी। वर्तमान में, यह भेटापारा, गुवाहाटी में केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान की पुरानी इमारत में स्थित है।
यह संस्थान हर साल बढ़ती ओपीडी के साथ-साथ मातृ एवं शिशु ओपीडी और एलएसडी क्लिनिक जैसी विशेष ओपीडी के साथ आसपास की आबादी की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा कर रहा है। संस्थान द्वारा समय-समय पर परिफ्रल ओपीडी और जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया जाता है।
संस्थान बहुत ही मामूली दरों पर प्रयोगशाला सेवाएं प्रदान कर रहा है और त्वचा विकारों, हैजा/गैस्ट्रोएंटेराइटिस, क्रोनिक साइनसिसिस और ब्रोंकाइटिस, इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी, गर्भाशय फाइब्रॉएड, ओटिटिस मीडिया, उच्च रक्तचाप, विटिलिगो, सोरायसिस, माइग्रेन आदि पर नैदानिक परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
इसके अलावा, संस्थान स्वास्थ्य रक्षण कार्यक्रम, एससी शिविर, स्वस्थ बच्चे के लिए होम्योपैथी जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य परियोजनाओं में सक्रिय रूप से सम्मिलित है। संस्थान ने अनुसंधान संबंधी गतिविधियों के लिए एनआईपीईआर, गुवाहाटी, एएसयू और एच ड्रग्स के फार्माकोविजिलेंस के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और राज्य होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ भी सहयोग किया है।
8 और 9 जनवरी को केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी), लखनऊ और क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान, सिलीगुड़ी की नई इमारतों का उद्घाटन भी केंद्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई ने किया।
सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच), भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अंतर्गत, एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है, जो भारत में होम्योपैथी के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान के कार्य को करता है, वैज्ञानिक अनुसंधान के कामों में समन्वय बनाता है, वैज्ञानिक अनुसंधान को विकसित करने का काम करता है, इसका प्रसार करता है तथा वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देता है। यह, 27 संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से, पूरे भारत में बहु-केंद्रित अनुसंधान करता है।
केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. सुभाष कौशिक ने बताया कि केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी), लखनऊ आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एबीडीएचएम) के अनुरूप होगा और इससे ओपीडी में आने वाले सभी मरीजों को लाभ होगा। आयुष अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली (ए-एचएमआईएस) के माध्यम से मरीजों का पंजीकरण और उनको परामर्श दिया जाएगा।
श्री कौशिक ने यह भी बताया कि क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान, सिलीगुड़ी रोगी देखभाल में उत्कृष्ट मानकों के साथ काम कर रहा है और इसमें एनएबीएच आयुष प्रवेश स्तर प्रमाणन प्राप्त करने के लिए औपचारिकताएं पूरी कर ली है। संस्थान के पास गैर-संचारी रोगों के उपचार के लिए बहुत अच्छा अनुभव है और वह इस तरह के उत्कृष्टता केंद्र को विकसित करने के लिए आगे और काम करेगा।
क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान, सिलीगुड़ी की स्थापना 1984 में हुई थी और इसने पहले ही नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान परियोजनाओं, विशेष रूप से एकीकृत एनपीसीडीसीएस-आयुष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
Source: PIB
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