नई दिल्ली New Delhi, India: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने दिल्ली में कृषि क्षेत्र में स्वैच्छिक कार्बन बाजार की रूपरेखा और कृषि वानिकी नर्सरी के प्रत्यायन प्रोटोकॉल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सचिव मनोज आहूजा, डीएआईरई के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों के साथ ही कृषि से संबंधित विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, जबकि कई हितधारक वर्चुअल तरीके से भी इसमें शामिल हुए।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने छोटे और मध्यम किसानों को कार्बन क्रेडिट का लाभ उठाने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से देश के कृषि क्षेत्र में स्वैच्छिक कार्बन बाजार (वीसीएम) को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। किसानों को कार्बन बाजार से परिचित कराने से न केवल उन्हें लाभ होगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने में भी तेजी आएगी। उन्होंने किसानों के हित में कार्बन बाजार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्यों के संबंधित मंत्रालयों और अन्य संबंधित संगठनों से पूर्ण सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि दक्षिणी क्षेत्र के किसानों के साथ मिलकर, उनके लिए सुविधाजनक तरीके से और समाधान के साथ इस दिशा में काम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका लाभ हमारे किसानों पर केंद्रित करने की आवश्यकता है। यह पहला कदम है जिसमें हम सभी की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं। श्री मुंडा ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग जैसी वैश्विक चुनौतियां हम सभी के सामने हैं और ऐसे में हमें सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। उन्होंने आईसीएआर से इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने और सही तरीके से अच्छा काम करने को कहा है।
श्री मुंडा ने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था और करोड़ों लोगों की आजीविका में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने बताया कि देश का 54.6 प्रतिशत कार्यबल कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से जुड़े कामकाज में लगा हुआ है। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 18.6 प्रतिशत है, जबकि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से कुल 139.3 मिलियन हेक्टेयर बुआई क्षेत्र है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मंत्रालय ने सतत विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। श्री मुंडा ने कहा कि कृषि वानिकी नर्सरी के मान्यता प्रोटोकॉल से देश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर रोपण सामग्री के उत्पादन और प्रमाणीकरण के लिए संस्थागत व्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने सभी हितधारकों से इसे अपनाने के लिए कहा ताकि गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री सुनिश्चित रिटर्न प्रदान कर सके और इस तरह राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति के उद्देश्यों और लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के समुचित उपयोग का भी आग्रह किया। श्री मुंडा ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी कृषि क्षेत्र के विकास और जलवायु परिवर्तन के प्रति काफी गंभीर हैं और उनके नेतृत्व में हम समस्याओं के समाधान के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
Source: PIB
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