डॉ. सर्वजीत कौर: प्राणिक हीलिंग एक पूरक चिकित्सा पद्धति है जो फिलीपींस के मास्टर चोआ कोक् सुई द्वारा ईजाद की गई थी। इस पद्धति के सिद्धांत के अनुसार मानव शरीर केवल उतना ही नहीं जितना हमें दिख रहा है, इस शारीरिक संरचना के बाहर ऊर्जा शक्ति से बनी, औरा और चक्रयुक्त संरचना भी होती है जो हमारे शरीर का ही हिस्सा है लेकिन हमें दृश्यमान नहीं है।
असल में फिज़िकल बॉडी के दो भाग हैं, पहला भाग है-
विज़िबल फिज़िकल बॉडी - जो आसानी से हमें दिख रही है। और दूसरा भाग है- इनविज़िबल बायोप्लास्मिक बॉडी जिसे हम नहीं देख पा रहे हैं। वो केवल प्राणिक हीलर्स को काफी मेडिटेशन और रेगुलर प्रैक्टिस के बाद ही दिखती है।
ये बायोप्लास्मिक बॉडी प्राण शक्ति से भरपूर, इनर औरा , हेल्थ रेज़ , आउटर औरा और ऊर्जा चक्रों से बनी होती है।
प्रणिक हीलिंग एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसके अनुसार कोई भी रोग , फिज़िकल बॉडी को प्रभावित करने से पहले आउटर औरा में प्रवेश करता है, हेल्थ रेज़ को डिप्लीट करके चक्रों में प्रवाहित होने वाली ऊर्जा में रुकावट और बदलाव लाता हुआ इनर औरा में प्राणशक्ति के बहाव को अनियंत्रित करता है, उसके बाद ही अंत में वो रोग फिज़िकल बॉडी में प्रवेश करता है।
रोग छोटा हो या बड़ा , प्राणिक हीलिंग द्वारा हेल्थ रेज़ की ब्लॉकेज को खोला जाता है , मानवऔरा और चक्रों की क्लींज़िग करके नेगेटिव एनर्जी को निकाला जाता है , रोगी के शरीर से निकाली गई नेगेटिव एनर्जी को वेस्ट डिस्पोज़ल यूनिट (खड़ा-नमक युक्त पानी) में डाला जाता है । ये नेगेटिव एनर्जी ज्यादातर ग्रे रंग की होती है और औरा और चक्रों से निकाले जाने के बाद डिस्पोजल यूनिट में आसानी से देखी भी जा सकती है।
इसके पश्चात हीलर द्वारा पॉजिटिव एनर्जी के रूप में ब्रह्मांड से ली गई ऊर्जाशक्ति प्रदान की जाती है। जब ये पॉजिटिव एनर्जी हीलिंग के दौरान प्रदान की जाती है तब रोगी को उसका प्रवाह पूरी तरह से महसूस भी होता है।
कष्टदायक रोग जैसे गठियावात , रीढ़ की बीमारियां , लीवर , किडनी के रोग , कैंसर और ऑटोइम्यून बीमारियां इत्यादि के उपचार में अगर प्राणिक हीलिंग की सहायता ली जाए तो अद्भुत परिणाम मिलते हैं जैसे - रोगों के ठीक होने की क्षमता और तीव्रता कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है , रोगी की तकलीफें धीरे-धीरे जड़ से ठीक होने लगती है , रोगी की इम्युनिटी और एनर्जी लेवल काफी बढ़ने लगता है इत्यादि।
(यह लेखक के अपने विचार हैं )
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