रायपुर: पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डाॅ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर (छ.ग.) में स्थित मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एम. आर. यू.) में सीनियर साइंटिस्ट डाॅ. जगन्नाथ पाल एवं टीम द्वारा बेहद कम लागत वाली सिकल सेल एनीमिया जेनेटिक डायग्नोस्टिक टेस्ट विकसित की गई है। इस जेनेटिक डायग्नोस्टिक टेस्ट (आनुवंशिकता पर आधारित जांच की विधि) के माध्यम से सभी वर्ग के रोगियों में सिकल सेल एनीमिया की जांच बेहद कम खर्च में की जा सकती है। सिकल सेल जांच की इस विधि द्वारा विशेष रूप से नवजात शिशु सहित 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सिकल सेल रोग की जांच कर समय पर निदान किया जा सकता है। इसकी सहायता से प्रसव पूर्व भी गर्भवती महिलाओं में सिकल सेल एनीमिया की जांच की जा सकती है। दो वर्ष से कम उम्र एवं नवजात शिशुओं में सिकल सेल जांच की सुविधा अब तक हमारे राज्य में नहीं है इसलिए यह जांच तकनीक सिकल सेल रोग के निदान एवं प्रबंधन में बेहद कारगर साबित होगी। चूंकि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में फीटल हीमोग्लोबिन ज्यादा होता है जिसके कारण वर्तमान में उपलब्ध कन्वेंशनल डायग्नोसिस सिस्टम - एचबी इलेक्ट्रोफॉरेसिस एवं एचपीएलसी विधि (conventional diagnosis system Hb electrophoresis and HPLC Method) द्वारा डायग्नोस नहीं किया जा सकता है। एमआरयू द्वारा जो नई सिकल सेल डायग्नोस्टिक तकनीक विकसित की गई है वह (qPCR) पर आधारित है जिसमें डी. एन. ए. (DNA) उपयोग में लाया जाता है जिससे हमें सटीक परिणाम प्राप्त होते हैं। इस रिसर्च टीम में जूनियर साइंटिस्ट डाॅ. योगिता राजपूत के साथ अधिष्ठाता चिकित्सा महाविद्यालय डाॅ. तृप्ति नागरिया, अधीक्षक अम्बेडकर अस्पताल डाॅ. एस. बी. एस. नेताम, एम. आर. यू. की नोडल अधिकारी एवं विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग डाॅ. निधि पांडेय, स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. ज्योति जायसवाल, एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. स्मृति नायक एवं चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. प्रदीप कुमार पात्रा शामिल हैं। टेस्ट की तकनीक के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए एमआरयू के सीनियर साइंटिस्ट डाॅ. जगन्नाथ पाल बताते हैं, इस टेस्ट की लागत बाजार में उपलब्ध अन्य महंगी कमर्शियल टेस्ट की तुलना में बहुत कम है। इस टेस्ट के माध्यम से सभी वर्ग के रोगियों की जांच बेहद कम खर्चे में लगभग 20 से 50 रुपये के अंदर की जा सकती है। विशेष रूप से नवजात शिशु सहित 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सिकल सेल रोग का निदान किया जा सकता है एवं प्रसव पूर्व भी गर्भवती महिलाओं में सिकल सेल एनीमिया की जांच की जा सकती है।
© Bharatiya Digital News. All Rights Reserved. Developed by TechnoDeva