रायपुर/: हृदय एक बहुत ही जटिल अंग है और यह हृदय के धड़कने की प्रक्रिया और लय को समझना और भी मुश्किल है। जब उच्च शारीरिक गतिविधि के दौरान हृदय गति में वृद्धि नहीं होती है तो यह खतरनाक विकार का संकेत हो सकता है, यह हृदय ब्लॉक भी हो सकता है। यहां एक 5 वर्ष की बच्ची के बारे में है जो कंप्लीट हार्ट ब्लॉक (सीएचबी) से पीड़ित थी। कंप्लीट हार्ट ब्लॉक, एक गंभीर कार्डियक स्थिति है जिसमें व्यक्ति की हृदय गति कम रहती है और जरूरत पड़ने पर भी उचित स्तर तक नहीं बढ़ती - जैसे चलना, दौड़ना आदि के दौरान । ऐसी स्थिति हमारे हृदय के कंडक्शन सिस्टम (इलेक्ट्रिक सर्किट) में खराबी के कारण होती है। आम तौर पर बच्चों में यह जन्मजात या कभी-कभी कार्डियक सर्जरी के बाद होता है। लगभग 1% जन्मजात कार्डियक सर्जरी के परिणामस्वरूप हार्ट ब्लॉक हो सकता है। पूर्ण हृदय ब्लॉक के अनुपचारित मामले, विशेष रूप से जब स्थिति कार्डियक सर्जरी के परिणामस्वरूप होती है, तो बहुत अधिक जोखिम होता है और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। 14 किलो वजन वाली यह 5 साल की बच्ची टेट्रालॉजी ऑफ फैलॉट (ब्लू बेबी सिंड्रोम) से पीड़ित थी। ब्लू बेबी सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जो रक्त में कम ऑक्सीजन के स्तर के परिणामस्वरूप शिशुओं में सायनोसिस (त्वचा, नाखून, होंठ या आंखों के आसपास नीला या भूरा रंग) का कारण बनती है। एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, रायपुर में कार्डियक साइंस की टीम बच्चे के स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने में सफल रही है। हालांकि सर्जरी के बाद उन्हें पूरा हार्ट ब्लॉक हो गया था। समान समय (2 सप्ताह से अधिक) के इंतजार के बावजूद इसमें सुधार नहीं हुआ तब डॉ सुमंत शेखर पाधी (सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट) ने एक जटिल लेकिन प्रभावी समाधान प्रस्तावित किया - लेफ्ट बंडल पेसिंग। पेस मेकर इम्प्लांटेशन ऐसे मामलों में सामान्य उपचार विकल्प होता है। लेफ्ट बंडल पेसिंग, एक नई प्रगति है जो कम तकलीफ देह, अधिक साध्य और सुरक्षित है और इसके अधिक दीर्घकालिक लाभ हैं। हालाँकि वर्तमान में शामिल विभिन्न तकनीकी जटिलताओं के कारण वयस्कों के लिए विकल्प अधिक साध्य है, और बच्चों के लिए कोई समर्पित उपकरण उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए बच्चों के लिए इस तरह की प्रक्रियाएं बहुत सीमित सेंटरों में की जाती हैं और इसके लिए बहुत उच्च स्तर के कौशल और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। लेफ्ट बंडल पेसिंग में स्थायी पेस मेकर इम्प्लांटेशन शामिल है। डॉ सुमंता शेखर पढ़ी (सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट) के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम जिसमे डॉ किंजल बख्शी (सीनियर पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट) और डॉ धर्मेश लाड (सीनियर कार्डियक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट) शामिल रहे, 31 दिसंबर को सफलतापूर्वक यह जटिल प्रक्रिया की। डॉ सुमंता शेखर पढ़ी (सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट) बताते है की, “प्रक्रिया के बाद बच्चे की सामान्य रिकवरी हुई और प्रक्रिया के बाद 5 दिनों में उसे छुट्टी दे दी गई। यह भारत में इस प्रक्रिया से गुजरने वाले ऐसे छोटे बच्चे का दुर्लभ मामला है और यह इस प्रक्रिया से गुजरने वाली मध्य भारत की सबसे कम उम्र की बच्ची है।“ तपनी घोष (फैसिलिटी डायरेक्टर, एनएच एमएमआई नारायण सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर) ने कहा, “हम एक विश्व स्तरीय कार्डियक केयर फैसिलिटी है, जिसमें सर्वश्रेष्ठ उपकरण और राज्य की सर्वश्रेष्ठ कार्डिएक केयर टीम है। मैं बच्ची की जान बचाने के लिए पूरी टीम को बधाई देना चाहता हूं। मुझे कार्डियक केयर टीम की सफलता पर बहुत गर्व है, जिसने छोटी बच्ची को उसके सामने बड़ी जिंदगी जीने का अवसर प्रदान किया।“
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