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24 September 2025   bharatiya digital news Admin Desk



बालको मेडिकल सेंटर में मध्य भारत का पहला एसबीआरटी हैंड्स-ऑन कंटूरिंग वर्कशॉप संपन्न

रायपुर: मध्य भारत में कैंसर उपचार के क्षेत्र में अग्रणी बालको मेडिकल सेंटर (बीएमसी) ने अपने तीसरे ‘छत्तीसगढ़ कैंसर कॉन्क्लेव’ के तहत 21 सितंबर 2025 को मध्य भारत का पहला स्टेरियोटैक्टिक बॉडी रेडियोथेरेपी (एसबीआरटी) हैंड्स-ऑन कंटूरिंग वर्कशॉप आयोजित किया। यह वर्कशॉप विशेष रूप से लीवर और पैंक्रियाज़ कैंसर पर केंद्रित रही, जिसमें देशभर से 100 से अधिक रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, रेज़िडेंट डॉक्टर और मेडिकल फिज़िसिस्ट शामिल हुए।

एसबीआरटी एक अत्याधुनिक रेडियोथेरेपी तकनीक है, जो बहुत अधिक मात्रा में रेडिएशन को सटीक रूप से कैंसर ट्यूमर तक पहुँचाती है, जबकि आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान से बचाती है। इससे मरीज को कम से कम अस्पताल जाना, इलाज में सटीकता और कम दुष्प्रभाव पड़ता है। डॉक्टरों के लिए इस तरह की वर्कशॉप बहुत जरूरी हैं, क्योंकि इससे उन्हें नई तकनीकें सीखने और अपनाने का अवसर मिलता है, और मरीज अपने ही शहर में विश्वस्तरीय इलाज प्राप्त कर सकते हैं।

वर्कशॉप का नेतृत्व देश के जाने-माने विशेषज्ञों ने किया। इनमें डॉ. स्वरूपा मित्रा (डायरेक्टर एवं यूनिट हेड, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम), डॉ. रीना इंजीनियर प्रोफेसर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई), डॉ. सयान पॉल (कंसल्टेंट रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, अपोलो कैंसर इंस्टीट्यूट, कोलकाता) और डॉ. डेविड के. सिमसन (कंसल्टेंट रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर, नई दिल्ली) शामिल थे। कई प्रमुख ऑन्कोलॉजिस्ट भी मेंटर के रूप में जुड़े, जिन्होंने प्रतिभागियों को सामान्य गलतियों से बचने के तरीके बताए और असली मरीजों से जुड़े मामलों पर सवाल-जवाब के माध्यम से सीखने का मौका दिया।

डॉ. गौरव गुप्ता, एचओडी एवं सीनियर कंसल्टेंट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, बालको मेडिकल सेंटर ने कहा कि एसबीआरटी प्लानिंग सीखने में हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग बहुत महत्वपूर्ण है। इस वर्कशॉप में लीवर और पैंक्रियाज़ जैसी जटिल अंगों में टारगेट डिलिनीएशन और ट्रीटमेंट प्लानिंग पर काम किया गया। प्रतिभागियों को वास्तविक मामलों पर काम करने, मोशन मैनेजमेंट को समझने और स्टैंडर्ड गाइडलाइंस लागू करने का अवसर मिला।

टेक्नोलॉजी की भूमिका बताते हुए डॉ. आलोक कुमार स्वैन, सुपरिटेंडेंट एवं डायरेक्टर, एनेस्थीसिया एंड क्रिटिकल केयर बालको मेडिकल सेंटर ने कहा कि नई तकनीकें कैंसर उपचार का स्वरूप बदल रही हैं। एसबीआरटी जैसी उन्नत रेडियोथेरेपी तकनीक अपनाकर हम ऐसा सिस्टम बना रहे हैं, जिससे अलग-अलग तरह के कैंसर का इलाज अधिक सटीकता और प्रभावशीलता के साथ किया जा सके।

वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन (बीएमसी) की चिकित्सा निदेशक डॉ. भावना सिरोही ने कहा कि ऑन्कोलॉजी (कैंसर उपचार) लगातार बदलने वाला क्षेत्र है। डॉक्टरों के लिए ज़रूरी है कि वे नई तकनीक और प्रगति से हमेशा अपडेट रहें। यह वर्कशॉप इसलिए आयोजित की गई ताकि विश्वस्तरीय विशेषज्ञता को मध्य भारत तक लाया जा सके। हम आभारी हैं उन वरिष्ठ विशेषज्ञों के जिन्होंने समय निकालकर प्रतिभागियों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया। अंत में सब कुछ मरीजों के लिए ही है, हम चाहते हैं कि स्थानीय स्तर पर ऐसी विशेषज्ञता विकसित हो जिससे मरीजों को वही गुणवत्तापूर्ण इलाज मिले जो उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ केंद्रों में मिलता है।

यह एसबीआरटी वर्कशॉप तीसरे बीएमसी छत्तीसगढ़ कैंसर कॉन्क्लेव का हिस्सा रही, जिसमें 10 अंतरराष्ट्रीय और 200 राष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल हुए। ’ड्राइविंग कॉमन-सेंस ऑन्कोलॉजी–मल्टीडिसिप्लिनरी मैनेजमेंट ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, जेनिटोयूरिनरी एंड लंग कैंसर’ थीम पर हुए इस कॉन्क्लेव में बहु-विशेषज्ञ प्रबंधन पर गहन चर्चा हुई और कैंसर उपचार के नए मानक स्थापित किए गए।



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