रायपुर: हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (HNLU) रायपुर ने “उभरती हुई कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का न्यायशास्त्रीय प्रभाव: सामाजिक और कानूनी पहलू” विषय पर एक दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में न्यायाधीशों, शिक्षाविदों, प्रैक्टिशनरों और छात्रों ने एआई से संबंधित नैतिक, कानूनी और सामाजिक चुनौतियों पर चर्चा की।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उड़ीसा उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य और निजी संस्थाएँ अक्सर कानूनी दायरे से परे डेटा एकत्र करती हैं, जिससे ‘डेटा गोपनीयता’ केवल एक मिथक बन गई है। उन्होंने डेटा के हथियार के रूप में इस्तेमाल के अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों का हवाला देते हुए व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा पर जोर दिया। प्रो. वी. सी. विवेकानंदन, उपकुलपति, HNLU ने ‘नियामक शून्यता’, ‘सीमाहीन संचालन’ और ‘रोग तकनीकें’ जैसी चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित किया, जो लोकतंत्र और न्याय प्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं।
सम्मेलन में आयोजित पैनल चर्चा “अनियंत्रित को नियंत्रित करना: सुरक्षित और नैतिक AI के लिए कानूनी ढाँचे” में विशेषज्ञों ने एआई संचालन और कानूनी तैयारियों पर अपने दृष्टिकोण साझा किए। श्री कश्यप कोम्पेला ने AIM-AI ढाँचा प्रस्तुत किया जो एआई जोखिमों की पूर्वानुमान क्षमता रखता है। डॉ. ऋषि राज भारद्वाज ने भारत में एआई नियमावली की धीमी प्रगति और मौजूदा आईटी अधिनियम की अपर्याप्तता पर चिंता जताई। डॉ. भावना महादेव ने सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव के जोखिम पर ध्यान दिया, जबकि प्रो. होंग शुए ने एआई द्वारा उत्पन्न कार्यों में बौद्धिक संपदा अधिकारों को मानव-केंद्रित बनाए रखने पर जोर दिया।
सम्मेलन में आठ तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें न्यायालय प्रबंधन में एआई, उत्तरदायित्व, नैतिकता और डेटा सुरक्षा जैसे विषय शामिल थे। 172 प्रस्तुतियों में से सर्वश्रेष्ठ 60 शोधपत्रों का चयन किया गया, जिससे शोधकर्ताओं और छात्रों के बीच जीवंत विचार-विमर्श हुआ।
समापन सत्र में सुश्री एन. एस. नप्पिनई, वरिष्ठ अधिवक्ता, भारत उच्च न्यायालय ने भारत के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम में मौजूदा खामियों को उजागर किया, विशेषकर “राइट टू बी फॉरगॉटन” के अभाव पर। उन्होंने कहा कि गोपनीयता केवल रहस्य नहीं बल्कि विकल्प का अधिकार है, और वर्चुअल अपराधों जैसे मेटावर्स में सुरक्षा के लिए कानून को गतिशील रूप से विकसित करने की आवश्यकता है।
सम्मेलन का आयोजन डॉ. अतुल एस. जायभाये और डॉ. प्रियंका धर ने किया, जिसमें छात्रों की समिति ने आयोजन को सफलतापूर्वक संचालित किया। इस सम्मेलन ने भारत में एआई शासन, कानूनी शिक्षा और उभरती तकनीकों के लिए नैतिक ढाँचे पर बहस और शोध को मजबूत दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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