भोपाल BHOPAL: अंर्तराष्ट्रीय गिद्ध दिवस पर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल में "गिद्ध संरक्षण एवं संवर्धन" विषय पर शनिवार (02 सितम्बर) को कार्यशाला हुई। कार्यशाला में भोपाल शहर के आस-पास संचालित समस्त अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं एवं मुख्यमंत्री गौसेवा योजना अंतर्गत संचालित गौशालाओं के संचालक / प्रबंधक शामिल हुए।
कार्यशाला में गौ संचालकों को गिद्ध संरक्षण एवं संर्वधन विषय पर जानकारी के साथ-साथ गायों के उपचार में डायक्लोफेनिक दवा का उपयोग न करने एवं अन्य विषयों पर विषय-विशेषज्ञों द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई गई। कार्यशाला के उद्देश्यों पर श्रीमती पद्मप्रिया बालाकृष्णनम्, संचालक, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान जू भोपाल द्वारा प्रकाश डाला गया।
गिद्धों की रहवास की पहचान की जानकारी श्री दिलशेर खान तथा गिद्ध संरक्षण के महत्व पर डॉ. संगीता राजगीर द्वारा विचार व्यक्त किए गए। गिद्धों की पहचान के सम्बन्ध में मो. खालिक द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई गई।
उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएँ डॉ. रामटेके ने दुधारू पशुओं के उपचार में डायक्लोफेनिक दवा के स्थान पर मैलेविजकेम दवा उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा डायक्लोफेनिक दवा का उपयोग दुधारू पशुओं के लिए प्रतिबंधित किया गया है।
अंर्तराष्ट्रीय गिद्ध दिवस माह सितम्बर के प्रथम शनिवार को मनाया जाता है। इस वर्ष माह सितम्बर पहला शनिवार दो सितम्बर को होने से वन विहार में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें पर्यटकों में गिद्धों के संरक्षण के प्रति लगाव उत्पन्न करने हेतु जन जागरूकता अभियान के तहत "ऑन द स्पॉट क्विज एवं वल्चर आधारित साँप सीड़ी खेल का आयोजन किया गया जिसमें पर्यटकों द्वारा उत्साहपूर्वक भाग लिया एवं प्रबंधन द्वारा विजेताओं को पुरुस्कार स्वरूप उपहार दिया गया।
कार्यशाला के अंत में समस्त प्रतिभागियों को जागरूक करने के उद्देश्य से वल्चर आधारित साँप सीडी खेल का आयोजन किया गया। कार्यशाला के अंत में सहायक संचालक, वन विहार द्वारा आभार व्यक्त किया।
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