नई दिल्ली NEW DELHI: केंद्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. महेंद्र भाई मुंजपारा ने "सर्वजन्य स्वास्थ्य" का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से आज कोलकाता में होम्योपैथी पर आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा डॉ. अंजलि चटर्जी क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान के माध्यम से पूर्वी क्षेत्र के एक कार्यक्रम के रूप में किया गया था, जिससे कि होम्योपैथी को एक ऐसे चरण में ले जाया जा सके जहां पर यह रोगियों के उपचार, कल्याण, स्वास्थ्य संवर्धन और बीमारी की रोकथाम के लिए प्राथमिक विकल्प बन जाए - जिसका प्राथमिक लक्ष्य ही "सर्वजन्य स्वास्थ्य" है।
विश्व होम्योपैथी दिवस 10 अप्रैल को डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष उत्सव को एक दिन या एक स्थान पर नहीं, बल्कि पूरे देश में चार क्षेत्रों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था।
सम्मेलन का उद्घाटन करने के अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. मुंजपारा ने होम्योपैथी के नैदानिक प्रभावों और इसके अनुसंधान के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आयुष की सभी प्रणालियों में काफी प्रगति हो रही है। डॉ. मुंजपारा ने बताया कि आयुष मंत्रालय बुनियादी ढांचे की उन्नति, मानव संसाधन की प्रगति और औषधियों के विकास को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा आयुष अनुसंधान और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के आधार पर आयुष संसाधन भी तैयार कर रहा है।
डॉ. महेंद्र भाई ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है, जब चिकित्सीय और शोध संबंधित प्रमाण को एकत्रित करके होम्योपैथी के पक्ष में साक्ष्यों के रूप में विश्व के सामने लाया जाए।
राज्य मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल भारत में होम्योपैथी की राजधानी है, जहां से यह प्रणाली विकसित हुई और देश के अन्य सभी हिस्सों तक पहुंच गई।
यह प्रयास भारत के लिए होम्योपैथी की शिक्षा, अभ्यास एवं अनुसंधान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है, जिसमें यह सुनिश्चित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता समाहित है कि सभी उपचार व दृष्टिकोण उच्च-गुणवत्ता तथा साक्ष्य-आधारित मापदंडों पर आधारित हों।
Source: PIB
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