रायपुर: कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में अनुसंधान का भारतीय दृष्टिकोण पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो. कृपा शंकर चौबे अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा ने कहा कि भारत में शोध की प्राचीन परंपरा है। अनुसंधान का भारतीय दृष्टिकोण सिद्धांत एवं दर्शन पर आधारित है। समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक विधियों की सहायता से समाधान प्राप्त करना ही शोध है। उन्होंने कहा कि शोध समस्या का समाधान है एवं शोधार्थी को पूर्वाग्रह से मुक्त होकर शोध करना चाहिए। उन्होंने शोध के तीन रूपों को बताया जिनमें मौलिक, व्यावहारिक एवं क्रियात्मक अनुसंधान प्रमुख रूप में हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का संदेश ही शब्द का अर्थानुवाद, भावानुवाद है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा में भारतबोध को प्रतिस्थापित करने का प्रयास है। साथ ही भारत की ज्ञान परंपरा को विकसित करने का प्रयास है, जिसका उद्देश्य भारतीय ज्ञान को आगे लाना है। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारिता केवल खबरें लिखना नहीं, अपितु जीवन की चेतना है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे लाने की आवश्यकता है। वास्तव में बेतार की खोज सर जगदीश चंद्र बसु द्वारा की गई थी। वैश्विक हितों को देखते हुए पश्चिमी देशों ने भारत के ज्ञान को पीछे धकेलने का प्रयास किया है। अब समय आ गया है कि जब हम विकसित भारत की संकल्पना के साथ भारत के ज्ञान को वैश्विक पटल पर रख सकते हैं।
कार्यक्रम के संयोजक प्रभारी कुलसचिव डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शोध पर विशेष बल दिया गया है। विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत इस वर्ष से स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है।
कार्यक्रम में पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष पंकज नयन पाण्डेय, जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र मोहंती, विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष मंडावी, समाजकार्य विभाग के अध्यक्ष डॉ. नृपेंद्र शर्मा, आईटी विभाग के अध्यक्ष शैलेंद्र खंडेलवाल, उपकुलसचिव सौरभ शर्मा, डॉ. शाहिद अली, चंद्रशेखर शिवहरे समेत विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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