रायपुर: भारत में नए कानूनी परिवर्तनों के संभावित प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए आंजनेय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारंभ हुआ। इस सम्मेलन की थीम "Decoding the Challenges of India's New Criminal Laws" रखी गई है। तीन दिनों तक आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में कानूनी विशेषज्ञ, न्यायिक अधिकारी, वकील, प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने भारतीय कानून में हुए बदलावों के प्रभाव का विश्लेषण किया।
उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति अनिल कुमार शुक्ला छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय सेवानिवृत्ति न्यायाधीश ने कहा कि बदलते समाज की जरूरतें नई चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं, जिनके लिए नए कानून आवश्यक हैं। तकनीकी उन्नति और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिए अद्यतन और समकालीन कानूनी ढांचे की आवश्यकता है। इससे सामाजिक संतुलन, न्याय और समृद्धि सुनिश्चित हो सकेगी ।
विशिष्ट अतिथि अजीत राजभानु विधिक सलाहकार लोक आयोग ने कहा कि नया कानून समाज में लागू हुआ है, इसलिए इसे समझने और अपनाने के लिए थोड़ा वक्त देना आवश्यक है। लोगों को इसके प्रावधानों और प्रभावों से परिचित होने की जरूरत है। इस समयावधि में सही जानकारी और प्रशिक्षण से कानून का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सकेगा।
विशिष्ट अतिथि सोनल कुमार गुप्ता सदस्य छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग बताया कि बच्चे देश का भविष्य हैं, इसलिए उन्हें कानून की जानकारी होना आवश्यक है। इससे वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकेंगे और एक जिम्मेदार नागरिक बन सकेंगे। कानूनी शिक्षा से बच्चों में नैतिकता और अनुशासन का विकास होता है, जो समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. (डॉ) कर्नल उमेश कुमार मिश्रा अध्यक्ष छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने बताया कि हैकिंग, धोखाधड़ी, और डेटा चोरी जैसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके लिए साइबर सुरक्षा कानूनों को सख्त करने और लोगों को डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है, ताकि तकनीक का सुरक्षित और जिम्मेदार पूर्वक उपयोग सुनिश्चित हो सके। बच्चों में अधिकाधिक बढ़ते मोबाइल के प्रयोग ने उन्हें पुस्तकों को नैतिक मूल्यों से दूर कर दिया है ।
कुलपति डॉ. टी. रामाराव ने अपने स्वागत उदबोधन में कहा कि भारत का नया आपराधिक कानून एक ऐसा विषय है जो हमारे समाज और न्याय प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इस कानून के लागू होने से पहले और बाद की चुनौतियों को समझना और उनका समाधान निकालना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में, हमारा मुख्य उद्देश्य इस कानून के विभिन्न पहलुओं की गहन जांच करना, उसकी प्रभावशीलता को समझना, और उसे सफलतापूर्वक लागू करने के मार्ग को सरल बनाना है।
कुलाधिपति अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि कानून के जानकार आज मंच पर हैं और विभिन्न तकनीकी सत्रों के माध्यम से मुझे विश्वास है कि आज की चर्चा में हमें महत्वपूर्ण दृष्टिकोण मिलेंगे और हम इस नए आपराधिक कानून के समक्ष आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए तैयार होंगे। आपके सुझाव और विचार हमारे लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगे और हमें इन चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने में मदद करेंगे।
प्रति कुलाधिपति सुमित श्रीवास्तव ने उद्घाटन सत्र के दौरान इस सम्मेलन के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों ही माध्यमों में आयोजित की जा रही है जिसका मुख्य उदेश्य है कि यह विषय समाज, व्यक्ति और शिक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। नया कानून अपराध की बदलती प्रवृत्तियों का सामना करने में सहायक होगा, व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा करेगा और कानूनी शिक्षा को बढ़ावा देकर जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण करेगा।
उद्घाटन सत्र में प्रति कुलाधिपति श्रीमती दिव्या अग्रवाल, महानिदेशक डॉ. बी सी जैन, समस्त संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों सहित बड़ी संख्या में ऑनलाइन माध्यम से देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिभागी शामिल हुए।
कार्यक्रम के अंत में शोध सार पुस्तिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ राहुल तिवारी ने एवं आभार प्रदर्शन कार्यक्रम सचिव डॉ रुपाली चौधरी ने किया।
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