रायपुर RAIPUR,CG,BHARAT: साईं बाबा आई हॉस्पिटल ने आज आधुनिक चिकित्सा जगत में एक महत्वपूर्ण क़दम उठाते हुए अपनी नई LASIK मशीन का उद्घाटन किया। यह मशीन 2024 का नवीनतम मॉडल है और इसे विशेष रूप से आँखों की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया है। इसके माध्यम से चश्मे का नंबर हटाने की प्रक्रिया अब पूरी तरह से स्पर्श एवं दर्द रहित होगी। यह छत्तीसगढ़ में अपनी तरह की पहली तकनीक है।
पिछले 25 सालो में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम के नेतृत्व में साईं बाबा आई हॉस्पिटल ने अपनी तकनीकी उन्नति के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में नया मानदंड स्थापित किया है। हॉस्पिटल की नई लेज़र मशीन “टोपो गाइडेड लेसिक” तकनीक से सुसज्जित है,यह अत्याधुनिक मशीन आँखों की सतह का सही नक्शा बनाती है, इस मशीन को और भी अन्य मशीन के नामों से जाना जाता हैं। जैसे कि कस्टम-आई (SCHIWIND), कंटूरा विजन (Wavelight Machine) यह तकनीक मरीज़ों को उच्च गुणवत्ता वाली दृष्टि प्राप्त करने में मदद करती है और उन मरीज़ों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जिनकी आँखों में अनियमितता या अन्य जटिल समस्याएँ होती हैं। टोपो गाइडेड लेसिक तकनीक उन मरीज़ों के लिए भी बेहद फायदेमंद है जिनकी आँखों में माइनस नंबर के कारण पुतली कमजोर होने कि संबंधित समस्याएं होती हैं। पारंपरिक सर्जरी में, आँखों पर अधिक दबाव पड़ता था जिससे रेटिना पर अनावश्यक तनाव आ सकता था। यह दबाव रेटिना को कमज़ोर बना सकता था और इससे भविष्य में समस्याओं की संभावना बढ़ जाती थी। साईं बाबा आई हॉस्पिटल की यह नई मशीन रेटिना के लिए बिल्कुल सुरक्षित है क्योंकि इसमें आँखों पर बिना किसी दबाव के सुरक्षित और आरामदायक सर्जरी की जाती है।
साईं बाबा आई हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. अशीश मोहबिया का कहना है, "हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि हम छत्तीसगढ़ में पहली बार इस तरह की अत्याधुनिक तकनीक पेश कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि हमारे मरीज़ों को बिना किसी तकलीफ़ के, पूर्ण सुरक्षा के साथ, बेहतरीन दृष्टि प्रदान की जाए। हम अपनी तकनीक और सेवाओं के माध्यम से समाज के सभी वर्गों तक पहुँच बनाने का प्रयास करेंगे, ताकि हर किसी को स्वस्थ दृष्टि का अधिकार मिल सके।"
साईं बाबा आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर, डॉ. अशीश मोहबिया, ने इस नई मशीन के साथ एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि अस्पताल उन मरीज़ों की सेवा में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं। उन्होंने अंत्योदय कार्ड धारकों के लिए 100 निःशुल्क ऑपरेशन करने की योजना का ऐलान किया है। यह पहल समाज के उन वर्गों तक पहुंचने का प्रयास है, जो आर्थिक रूप से सर्जरी का ख़र्च नहीं उठा सकते।
साईं बाबा आई हॉस्पिटल द्वारा पेश की गई इस लेज़र तकनीक में सर्जरी के दौरान मरीज़ को किसी भी प्रकार का स्पर्श महसूस नहीं होता। यह पूरी प्रक्रिया रोबोटिक होती है, जिससे लेसिक में होने वाली आकस्मिक त्रुटियां नगन्या हो गई हैं। सर्जरी के दौरान मरीज़ को केवल एक रोशनी को देखना होता है, और लेज़र मशीन स्वचालित रूप से कार्य करती है। पहले पारंपरिक लेसिक सर्जरी में ऑपरेशन के बाद भी खतरा बने रहता था अब यह रोबोटिक प्रक्रिया मरीज़ों के लिए अधिक सुरक्षित और आरामदायक होती है।
उल्लेखनीय है कि SBH साईं बाबा अस्पताल में विगत वर्षों में लाखो मरीजों ने बिना किसी टांके वाले मोतियाबिन्द के ऑपरेशन का लाभ उठाया हैं. अस्पताल में भारत और दुनिया के कई नामी शिक्षा संस्थानों से प्रशिक्षित जिसमें एलवी प्रसाद हैदराबाद, शंकर नेत्रालय और रॉयल कॉलेज ग्लासगो से प्रशिक्षित सात डाक्टरों की टीम सेवारत है। जो कि नेत्र रोग के अलग अलग विभागों के विशेषग्य है जैसे कि रेटिना विभाग, शिशु नेत्र रोग विभाग, काला मोतियाबिन्द विभाग, कॉर्निया विभाग, लेज़र विभाग सभी विभागों के विशेषज्ञों का उपलब्धता साईं बाबा अस्पताल को और अच्छी सेवा देने मे मदद करता है।
अस्पताल में छात्रों के लिए भी विशेष छूट की घोषणा की गई है। जिन छात्रों को चश्मा हटवाने या अन्य नेत्र संबंधी समस्याओं के इलाज की आवश्यकता है, वे इस उन्नत तकनीक का लाभ उठाते हुए विशेष रियायती दरों पर सर्जरी करवा सकते हैं। साईं बाबा आई हॉस्पिटल यह सुनिश्चित करता है कि हर कोई, चाहे वह आर्थिक स्थिति जैसी बाधाओं का सामना कर रहा हो, बेहतरीन नेत्र चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठा सके। साईं बाबा आई हॉस्पिटल केवल नवीनतम तकनीक और चिकित्सा सेवाओं को ही नहीं बल्कि सामाजिक सेवा को भी प्राथमिकता देता है। हॉस्पिटल की योजना आगामी एक वर्ष में 1000 निःशुल्क ऑपरेशन करने की है, जो गरीबी रेखा कार्ड धारकों के लिए होंगे। यह पहल समाज के प्रति हॉस्पिटल की ज़िम्मेदारी और सेवा भावना को दर्शाती है।
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