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12 January 2025   bharatiya digital news Admin Desk



UP: उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइन्स लखनऊ में साहित्योत्सव 2025 (Sahitya Utsav 2025) का आयोजन

* साहित्य में जीने वाला व्यक्ति हमेशा जीवंत रहता है : डॉ जी.के. गोस्वामी 

* जो ख़ानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है : शबीना ‘अदीब’

संवाददाता सन्तोष उपाध्याय

लखनऊ: उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइन्स, लखनऊ में साहित्योत्सव 2025 का आयोजन किया गया l साहित्योत्सव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ जी के गोस्वामी थे l कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि, संस्थान के निदेशक डॉ जीके गोस्वामी आईपीएस, उप निदेशक राजीव मल्होत्रा एवं एएसपी अतुल यादव द्वारा सरस्वती प्रतिमा  पर माल्यार्पण एवं  दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया l  इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ गोस्वामी जी ने कहा कि साहित्य में जीने वाला व्यक्ति हमेशा जीवंत रहता है l उन्होंने कहा कि साहित्योत्सव के आयोजन  में  इसलिए नामचीन साहित्यकारों को आमंत्रित किया था ताकि संस्थान के छात्र-छात्राएँ साहित्य एवं लोक संस्कृति के क्षेत्र में भी लाभान्वित हो सके। यूपीएसआईएफएस मे साहित्य एवं लोक-कला के क्षेत्र में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर संस्थान को बढावा देने के लिए नव गठित “भाषा, साहित्य एवं लोक-कला सांस्कृतिक प्रकोष्ठ” के बैनर तले एक वृहद साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया । संस्थान के निदेशक ने आमंत्रित कवियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर बधाई भी दी ।

कार्यक्रम में कानपुर से पधारी लोक प्रिय कवयित्री श्री मती शबीना ‘अदीब’ ने जो ख़ानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना,तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है । सुना कर सभागार को मन्त्र मुग्ध कर तालियाँ बटोरी  l  वहीँ  कानपुर से ही पधारे देश के बड़े शायर जौहर ‘कानपुरी’ जी ने  “दिल दुखा कर आजमा कर या रुला कर छोडना । हमने सीखा ही नहीं अपना बना कर छोडना ।“ पढ़ कर सभागार का  जोरदार तालिओं से आगाज किया l लखीमपुर से पधारे हास्यकवि विनय प्रकाश मिश्रा ने व्यंग सुना कर महफ़िल को ठहाको से भर दिया उन्होंने सुनाया “जंग का आखिरी ऐलान न मानो उसको । जो भी नुकसान है, नुकसान न मानो उसको । हाथ से छूटकर गिरे तलवार तो भी लड़ो, म्यान को म्यान न मानो उसको ।, डॉ सरला शर्मा  ने सुनाया चरण माता पिता के छू के तुम सम्मान लिख देना ।कभी थामो किसी का हाथ तो मुस्कान लिख देना । उन्नाव से पधारे कविता के वाचिक परंपरा के मूर्धन्य हस्ताक्षर लोक प्रिय कवि कुलदीप ‘कलश’ ने सुनाया कि हर खुशी तक मात खाए, वो व्यथा होकर रही ।त्याग पथ  पर  प्राण देने की प्रथा होकर रही ।

संतोष कौशिल ने ” गुले गुलजार  ही तो है, मैं वरना क्या इसे  मानू, ये उसका प्यार ही तो है, मैं वरना क्या इसे मानू , सुना कर सभागार से तालियाँ बटोरी । कार्यक्रम में कानपुर से आये दानिश जौहर, अयोध्या से पधारे युवा गीतकार रामायण धार द्विवेदी एवं काकोरी से पधारे ओज के लोक प्रिय कवि डॉ अशोक ‘अग्निपथी’,ने अपनी रचना पढ़कर सभागार का ध्यान आकृष्ट किया, इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के पूर्वार्द्ध मे सस्थान के छात्रो प्रियम प्रकाश, आदित्य राज पुरोहित , प्रभांश शुक्ल, श्रीराम, दिग्विजय सरोज ने भी प्रस्तुति दी । कार्यक्रम की अध्यक्षता देश के बड़े शायर जौहर ‘कानपुरी’ जी ने की, जबकि संचालन संस्थान के भाषा, कला एवं लोक संस्थान के अध्यक्ष व संस्थान के जन संपर्क अधिकारी संतोष ‘कौशिल’ ने किया । संस्थान के अपर निदेशक राजीव मल्होत्रा, ने अंत मे आभार ज्ञापन कर कार्यक्रम के औपचारिक समापन की घोषणा की ।



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