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22 February 2025   bharatiya digital news Admin Desk



आंजनेय विश्वविद्यालय में INCON 25 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का सफल समापन

अनुसंधान, नवाचार और आत्मनिर्भरता भारत की मजबूत नीति का परिणाम : डॉ. माधवा बी मल्लिया

रायपुर: आंजनेय विश्वविद्यालय में INCON 25 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का 22 फरवरी 2025, को सफल समापन हुआ। यह दो दिवसीय सम्मेलन (21-22 फरवरी 2025) परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद् (AERB, मुंबई) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य विषय "आणविक चिकित्सा के विकास में नियामक एवं सुरक्षा संबंधी विचार: नवाचार और अनुपालन के बीच संतुलन" था। सम्मेलन में विज्ञान, चिकित्सा एवं अनुसंधान क्षेत्र के विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे और आणविक चिकित्सा में नवीनतम तकनीकों, सुरक्षा उपायों एवं नियामक दिशा-निर्देशों पर व्यापक चर्चा की।

सम्मेलन में देश-विदेश के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें शोधकर्ता, वैज्ञानिक, शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि, उद्योग जगत के विशेषज्ञ एवं नीति निर्माता शामिल थे। विभिन्न तकनीकी सत्रों और शोधपत्र प्रस्तुतियों के माध्यम से आणविक चिकित्सा क्षेत्र में नवीनतम नवाचारों और सुरक्षा उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. टी. एल. चंद्रा जॉइंट डायरेक्टर एसएफएसएल रायपुर ने कहा कि आणविक चिकित्सा के क्षेत्र में सुरक्षा और नियामक अनुपालन को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि परमाणु चिकित्सा में सुरक्षा उपायों की अनदेखी से गंभीर जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे रोगियों और चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। डॉ. चंद्रा ने सख्त नियामक दिशानिर्देशों का पालन करने और निरंतर नवाचार के साथ संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ. माधवा बी मल्लिया (बीएआरसी – मुंबई) ने कहा कि हमारे समय में ऐसे सम्मेलन नहीं हुआ करते थे आज आप के पास निरंतर सीखते रहने का अवसर है। उन्होंने आगे कहा कि एक दौर था जब हम जांच किट और आवश्यक दवाइयों के लिए अन्य देशों पर निर्भर थे, लेकिन आज भारत इनका निर्यात करने की स्थिति में है। यह अनुसंधान, नवाचार और आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की मजबूत नीति का परिणाम है। डॉ. माधवा ने शोधार्थियों और विद्यार्थियों से निरंतर शोध और तकनीकी विकास पर जोर देने की अपील की।

चांसलर अभिषेक अग्रवाल ने अपने उद्भोधन में कहा कि आणविक चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और सुरक्षा अनुपालन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। ऐसे आयोजन वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत की वैश्विक पहचान को भी सुदृढ़ करते हैं।  सम्मेलन के समापन सत्र में विशेषज्ञों ने आणविक चिकित्सा में सुरक्षा व अनुपालन के महत्व पर बल दिया और अनुसंधान एवं विकास में सतत सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ. हरीश शर्मा डीन फार्मेसी रहे । 

समापन सत्र के अवसर पर प्रो चांसलर श्रीमती दिव्या अग्रवाल, वाईस चांसलर डॉ. टी रामाराव, डायरेक्टर जनरल डॉ. बी सी जैन, प्रो वाईस चांसलर डॉ. सुमित श्रीवास्तव, समस्त डीन, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित रहे।



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