उत्तर बस्तर कांकेर: भारत सरकार द्वारा एग्रीस्टेक योजना के तहत किसानों की फार्मर रजिस्ट्री की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है, इससे किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में आसानी होगी। इस योजना के तहत् सम्पूर्ण देश में कृषक हित में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से नवाचार किया जा रहा है। एग्रीस्टेक परियोजना के आगामी चरण के रूप में सभी कृषि भूमिधारक का कृषि भूमि पहचान पत्र प्रदान करना है, जिससे वे योजनाओं और सेवाओं का लाभ सीधे प्राप्त कर सकें।
कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि कृषि भूमि पहचान पत्र डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्राक्चर योजना एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य सरकारी योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक कुशलतापूर्वक पहुंचे। कृषि भूमि पहचान पत्र न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, बल्कि कृषि अनुदान, बीमा और इसी तरह की अन्य सहायता प्रणालियों के वितरण को भी सुव्यवस्थित करती है। उन्होंने बताया कि कृषक पंजीयन कृषि क्षेत्र के डिजिटल परिवर्तन का अभिन्न अंग है, जिससे कृषकों को आजीविका में सुधार के लिए बेहतर योजनाएं, नीति निर्माण और संसाधन का आबंटन किया जा सकेगा। कृषक पंजीयन से भूमि स्वामित्व के साथ कृषक होना सत्यापित करती है।
कृषक पंजीयन से केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ए.आई.एफ., किसान क्रेडिट कार्ड, उर्वरक अनुदान, प्रधानमंत्री किसान सिंचाई योजना का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसी तरह केन्द्रीय सरकार प्रणाली के तहत आईसीसीसी, कृषि डी.एस.एस., अधिक, पी.एम.एस., एन.पी.एस.एस., बीज ट्रेसिबिलिटी प्रणाली, किसान कॉल सेंटर तथा राज्य सरकार की योजनांतर्गत कृषि ऋण योजना, मुख्यमंत्री किसान सहायता योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड सहित राज्य सरकार की प्रणाली डी. बी. टी. सिंगल साइन ऑन का पारदर्शी रूप से कृषकों को सीधा लाभ संभव हो सकेगा। जिले के कृषि भूमिधारकों से कृषि भूमिस्वामी होने का बी-1, खसरा, ऋण पुस्तिका, आधार कार्ड एवं मोबाइल नम्बर आदि दस्तावेज की आवश्यकता होगी। साथ ही कॉमन सर्विस सेंटर, धान उपार्जन केन्द्र एवं पटवारी के माध्यम से कृषकों की कृषि भूमि पहचान पत्र तैयार किया जाना है, इसके लिए संयुक्त कृषि भूमि स्वामी अलग-अलग अपनी कृषि भूमि पहचान पत्र के लिए दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते हैं।
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