रायपुर: छत्तीसगढ़ मित्र, छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान तथा जय जोहार साहित्य संस्कृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित युवा कविता कुंभ और नारी शक्ति सम्मान में मुख्य अतिथि वरिष्ठ आईपीएस डा रतनलाल डांगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सार्थक कविताओं का गढ़ है। आज सावित्रीबाई फुले की नारी शिक्षा के बोये बीज के कारण भारत के महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में आगे हैं। समारोह की अध्यक्षता मैट्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के पी यादव ने की।
इस अवसर पर डॉ डांगी ने कहा कि मां किसी व्यक्ति के जीवन की प्रथम महिला होती है और वह जीवन भर हमें प्रशिक्षित करती है। आज प्रगति के युग में भी महिलाओं के शोषण की कुछ घटनाएं समाज को चिंतित करती हैं। अध्यक्ष कुलपति प्रो यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ के युवाओं में असीमित रचनात्मकता है और इसका बेहतर उपयोग होना चाहिए। आज राज्य के पचास कवियों ने यह साबित कर दिया कि वे कविता के आकाश में राज्य का नाम रौशन कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ इंदिरा मिश्र ने कहा कि रचनात्मक साहित्य जीवन को सार्थक दिशा देता है।
साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा कि कविता कभी बूढ़ी नहीं होती। राष्ट्रीय भावनाओं की कविता देश को मजबूत बनाती है। शताब्दी पांडेय ने भी प्रेरक बातें कहीं। इस अवसर पर राज्य के विविध क्षेत्रों से चयनित चालीस से अधिक युवाओं ने काव्य पाठ किया। इसकी शुरुआत चौदह साल के प्रतिभाशाली कवि ने की। दूसरे सत्र में ग्यारह महिला प्रतिभाओं का सम्मान किया गया। जिनमें डॉ इंदिरा मिश्र, शताब्दी पांडेय, डॉ शिप्रा बैनर्जी, डॉ नीलिमा शर्मा, डॉ कविता वर्मा, डॉ श्वेता भाटिया, डॉ तृषा शर्मा, डॉ रेशमा अंसारी, डॉ रेशमा लाकेश, डॉ शिखा मित्रा, डॉ मधुलिका अग्रवाल शामिल हैं। समारोह का संचालन युवा कवि परम कुमार और डॉ सीमा निगम ने तथा आभार प्रदर्शन वरिष्ठ कवयित्री शशि दुबे ने किया।
इस अवसर पर डॉ सुशील त्रिवेदी, राजकुमार द्विवेदी, डॉ स्नेहलता पाठक, डॉ कमल वर्मा, डॉ मीता अग्रवाल, डॉ सुरेश शुक्ला, शोभा देवी शर्मा, सिद्धांत श्रीवास्तव सहित सौ से अधिक रचनाकार उपस्थित थे।
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