नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज इस बात पर जोर दिया कि भारत न केवल जलवायु संकट का जवाब दे रहा है बल्कि निर्णायक कार्रवाई और नवीनतम नीतियों के साथ वैश्विक एजेंडे को भी आकार दे रहा है।
नई दिल्ली में ‘भारत 2047: जलवायु-लचीले भविष्य का निर्माण’ शीर्षक से आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। एक ऐसा भविष्य जहां विकास केवल आर्थिक वृद्धि के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहना भी शामिल है। श्री सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना ने अक्षय ऊर्जा, टिकाऊ कृषि और जलवायु लचीलेपन में परिवर्तनकारी पहलों को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन क्षमता 2005 से 2020 के बीच 36 प्रतिशत कम हुई है और देश 2030 तक 45 प्रतिशत कमी के लक्ष्य को पूरा करने की राह पर है।
मंत्री ने आगे कहा कि देश के गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत अब कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में 37 दशमलव एक प्रतिशत का योगदान करते हैं। श्री सिंह ने सराहना करते हुए कहा कि ये उपलब्धियाँ ग्लासगो में कोप-26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित जलवायु कार्रवाई के पंचामृत या पाँच अमृतों के दृष्टिकोण को मूर्त रूप देती हैं।
सम्मेलन का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के दो संस्थानों के सहयोग से किया जा रहा है। चार दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करना है। नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी भी उद्घाटन सत्र में शामिल हुईं। सम्मेलन में विभिन्न विषयों के अनुकूलन और लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित करने वाले कई तकनीकी सत्र होंगे। विषयों में जलवायु विज्ञान तथा जल और कृषि, स्वास्थ्य, कार्य और निर्मित पर्यावरण पर इसके प्रभाव शामिल हैं।
Source: AIR
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