रायपुर, CG (INDIA): हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप से मनाया जाता है। इस वर्ष का थीम है “ब्राइट प्रोडक्ट्स डार्क इंटेंशंस” जिस पर संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन ने तंबाकू के उपयोग के हानिकारक और घातक प्रभावों और सेकेंड हैंड स्मोक एक्सपोजर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ किसी भी रूप में तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के फाउंडर एवं सीनियर कैंसर सर्जन डॉ यूसुफ मेमन, रक्त रोग एवं ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ विकास गोयल, क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अनिकेत ठोके, सीनियर कैंसर सर्जन डॉ अर्पण चतुर्मोहता, डॉ विवेक पटेल, व डॉ कल्याण पांडेय, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ राकेश मिश्रा, रेडियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ रमेश कोठारी एवं डॉ सतीष देवांगन, पेन एवं पैलिएटिव मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ अविनाश तिवारी न्यूक्लियर मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ विलास मेशराम ने लोगों को तंबाकू सेवन के गंभीर हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
डॉ. युसूफ मेमन व डॉ अर्पण चतुर्मोहता ने बताया कि तंबाकू के सेवन से भारत में हर साल 13 लाख से अधिक मौतें होती हैं, जो प्रति दिन 3500 मौतों के बराबर है। तम्बाकू से होने वाली मौतों और बीमारियों के अलावा देश के आर्थिक और सामाजिक विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि न केवल तंबाकू का उपयोग कई प्रकार के कैंसर और बीमारियों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है, बल्कि धूम्रपान करने वाले स्वयं अकेले नहीं हैं जिन्हें तंबाकू के धुएं से कैंसर हो सकता है। उनके आसपास के लोग, जिनमें उनके बच्चे, साथी, दोस्त, सहकर्मी और अन्य लोग शामिल हैं, सेकेंड हैंड धूम्रपान के शिकार हो जाते हैं।
डॉ विवेक पटेल व डॉ कल्याण पांडेय ने तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों पर विस्तार से बताते हुए कहा कि जब तंबाकू के हानिकारक प्रभावों पर आमतया लोग केवल फेफड़ों के कैंसर के बारे में सोचते हैं। हालांकि तंबाकू का सेवन (सिगरेट और सिगार सहित) फेफड़ों के कैंसर के दस में से नौ मामलों का कारण बनता है, इस बात की जागरूकता जरूरी है कि तम्बाकू का उपयोग आपके शरीर में लगभग कहीं भी, मूत्राशय(ब्लैडर), रक्त और फेफड़े (एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया) सहित कैंसर का कारण बन सकता है। गर्भाशय ग्रीवा(सर्विक्स), बृहदान्त्र(कोलोन) और मलाशय(रेक्टम), अन्नप्रणाली(इसोफेगस), गुर्दे(ब्लैडर) और रेनल पेल्विस, यकृत(लिवर), फेफड़े, ब्रांकाई और श्वासनली, मुंह और गले, अग्न्याशय(पैंक्रियाज), पेट और आवाज बॉक्स(लैरिंक्स) मानव शरीर के सभी भाग हैं जिनमें टोबैको की वजह से कैंसर हो सकता है।
डॉ विकास गोयल एवं डॉ अनिकेत ठोके ने साझा किया कि सिगरेट, सिगार और पाइप से निकलने वाले धुएं में कम से कम 70 रसायन कैंसर का कारण बन सकते हैं। जब कोई व्यक्ति उस धुएं में सांस लेता है, तो रसायन उनके ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करते हैं, जहां वे अपने शरीर के सभी हिस्सों में जाते हैं। इनमें से कई रसायन आपके डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो यह नियंत्रित करता है कि आपका शरीर कैसे नई कोशिकाओं का निर्माण करता है और प्रत्येक प्रकार की कोशिका को अपना काम करने के लिए निर्देशित करता है। क्षतिग्रस्त डीएनए, कोशिकाओं को उन तरीकों से बढ़ने का कारण बन सकता है जिनकी अपेक्षा नहीं की जा सकती है। इन असामान्य कोशिकाओं में कैंसर में विकसित होने की काफी संभावना होती है।
डॉ. राकेश मिश्रा एवं डॉ अविनाश तिवारी ने बताते हुए कहा कि तंबाकू विश्व स्तर पर हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है, साथ ही यह पर्यावरण को नष्ट कर रहा है और इसके माध्यम से मानव स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था को भी खतरे में डाल रहा है। तंबाकू उत्पादन, निर्माण और खपत, हमारे पानी, मिट्टी, समुद्र तटों और शहर की सड़कों में, रसायन, पॉयसन, माइक्रोप्लास्टिक सहित सिगरेट के टुकड़े, और ई-सिगरेट अपशिष्ट का कारण बनता है जो कि हमारे पर्यावरण को भारी जानी पहुंचाते हैं। तंबाकू के सेवन से शरीर के लगभग हर अंग में कैंसर होने की संभावना होती है।
डॉ रमेश कोठारी एवं डॉ सतीष देवांगन ने साझा किया कि धूम्रपान तम्बाकू सेवन के बहुत से रूपों में से एक है। सिर्फ सिगरेट पीना ही नहीं बल्कि धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पाद, (जैसे कि चबाने वाला तंबाकू) भी कैंसर का कारण बन सकता है, जिसमें एसोफेजिएल, मुंह और गले, और अग्नाशय का कैंसर भी शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट, स्वाद और रसायनों वाले तरल को गर्म करके एक धुंध(मिस्ट) उत्पन्न करती है, जिनमें से कई काफी हानिकारक रसायन भी होते हैं, इसीलिए लोगों को किसी भी प्रकार के तंबाकू प्रोडक्ट से दूर रहना चाहिए।
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