संवाददाता - सन्तोष उपाध्याय
नई दिल्ली/ लखनऊ: सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने राष्ट्रीय पर्यावरणीय सेवा सम्मेलन एवं पर्यावरण मस्केटियर्स अवॉर्ड्स 2025 में भाग लिया, जिसका आयोजन सेवाएं निर्यात संवर्धन परिषद (SEPC) द्वारा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में होटल द ललित, नई दिल्ली में किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित डॉ. सिंह ने भारत की हरित नेतृत्व क्षमता के लिए एक दूरदर्शी खाका प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने हरित नवाचार, ESG सुधार, कौशल विकास और अंतरपीढ़ीय जलवायु न्याय पर विशेष बल दिया।
सरकारी अधिकारियों, जलवायु विशेषज्ञों, उद्योग जगत के नेताओं और नवप्रवर्तकों की इस उच्चस्तरीय सभा को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा, औद्योगिकीकरण के बाद से पृथ्वी का तापमान पहले ही 1.5°C बढ़ चुका है। यदि यह 0.5°C और बढ़ा, तो अनेक पारिस्थितिकी तंत्र अपरिवर्तनीय क्षरण की ओर बढ़ सकते हैं। आज 8 मिलियन में से 1 मिलियन से अधिक प्रजातियाँ विलुप्ति के खतरे में हैं, और 2050 तक समुद्रों में मछलियों से अधिक प्लास्टिक हो सकता है। यह अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि नैतिक, संवैधानिक और अंतरपीढ़ीय उत्तरदायित्व का विषय है।”
भारत के पास $1 बिलियन से अधिक मूल्य का कार्बन क्रेडिट बाजार बनाने की क्षमता है, परंतु यह क्षेत्र अभी तक विकसित नहीं हो सका है। यदि इसे रणनीतिक रूप से सक्रिय किया जाए, तो वैश्विक निवेश आकर्षित किए जा सकते हैं और उत्सर्जन में कटौती को प्रोत्साहन मिल सकता है।
भारत की कृषि भूमि, 186 GW+ नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, और अपशिष्ट प्रबंधन नवाचार हर वर्ष लाखों ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने की सामर्थ्य रखते हैं।
वनीकरण, टिकाऊ कृषि, ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर और जैव-ऊर्जा जैसे क्षेत्र अब भी काफी हद तक अनछुए हैं, जबकि ये मजबूत और सत्यापन योग्य जलवायु क्रेडिट उत्पन्न कर सकते हैं।
विश्व स्तर पर कार्बन ऑफसेट की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में भारत को ग्रीन क्रेडिट का वैश्विक केंद्र बनकर आर्थिक विकास और SDGs दोनों लक्ष्यों की पूर्ति करनी चाहिए।
डॉ. सिंह ने नियामक ढांचे को सशक्त बनाने, सत्यापन प्रणाली को मज़बूत करने, तथा ग्रीन/कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग को राष्ट्रीय जलवायु नीति में एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. सिंह ने SEPC के इस प्रयास की सराहना की, जो वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत संचालित एक शीर्ष संस्था है और जिसने ESG अनुपालन, कार्बन मार्केट, हरित वित्त एवं पर्यावरणीय सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यह बहु-हितधारक मंच प्रदान किया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा COP26, ग्लासगो में प्रस्तुत पंचामृत संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अब भारत की उन्नत एनडीसी और निम्न-कार्बन विकास रणनीतियों में समाहित हो चुका है और 2070 तक नेट-जीरो के लक्ष्य में सहायक है। इस अवसर पर पर्यावरण मस्केटियर्स अवॉर्ड्स 2025 के माध्यम से उन व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया गया जिन्होंने पर्यावरणीय स्थिरता एवं नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। सम्मेलन में नीतिगत संवाद, तकनीकी पैनल चर्चा, और नेटवर्किंग सत्र आयोजित किए गए, जिनका उद्देश्य भारत की पर्यावरणीय सेवा क्षमताओं और नवाचारों को वैश्विक स्तर तक पहुँचाना था। इस दौरान विनय कुमार (IFS), ICFRE, मनीष डबकारा, प्रमुख, पर्यावरणीय सेवाएँ, SEPC, अभय कुमार सिन्हा, महानिदेशक, SEPC, श्रीमती तरविंदर कौर, वरिष्ठ निदेशक, SEPC, पियूष मिश्रा, संस्थापक, नेट ज़ीरो इंडिया फाउंडेशन व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
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