रायपुर, CG (INDIA): संसद एवं राज्य विधान मंडलों की प्राक्कलन समिति के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में लोक सभा /राज्य सभा एवं राज्य विधान मंडलों की प्राक्कलन समिति के सभापतियों का सम्मेलन मुंबई में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का शुभारंभ लोक सभा अध्यक्ष ओम प्रकाश बिड़ला एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने किया इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ विधान सभा की प्राक्कलन समिति के सभापति अजय चंद्राकर एवं संदस्य राजेश मूणत, भोलाराम साहू, कुंवर सिंह निषाद एवं विधान सभा सचिव दिनेश शर्मा भी सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विधान सभा की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष अजय चंद्रकार ने कहा-कि कोई भी संसद/ विधान मंडल अपना कार्य स्वयं पूर्ण नही कर सकते फलतः संसद/विधान मंडल अपना कार्य समितियों के माध्यम से करते हैं, भारत में समिति पद्धति का प्रारंभ सन् 1854 में हुआ है । हमारे देश में 1912 में सर्वप्रथम प्राक्कलन समिति का गठन किया गया था। उन्होंने कहा-कि प्राक्कलन समिति विभिन्न अनुभागों से प्राप्त प्रस्तावों की जॉच करते हुए उनके आवश्यक वित्तीय प्रावधानों की अनुशंसा करती है, समिति साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी योजना पूर्वानुमान के बिना क्रियान्वित न हो, उन्होंने कहा-कि प्राक्कलन समिति वित्तीय अनिमितताओं की रोकथाम में एक प्रभावशाली भूमिका निभाती है ।
चन्द्राकर ने कहा-कि छत्तीसगढ़़ विधान सभा के अस्तित्व में आने के बाद विधानसभा के कार्य संचालन संबंधी नियम 223 के तहत प्राक्कलन समिति के गठन, कृत्य एवं समिति द्वारा की गई सिफारिशों के संबंध में विस्तृत नियम बनाये गये। समिति द्वारा स्थल निरीक्षण एवं साक्ष्य के उपरांत समिति अपनी सिफारिशें तैयार कर प्रारूप प्रतिवेदन तैयार करती है। उन्होंने कहा-कि छत्तीसगढ़ विधान की प्राक्कलन समिति की अधिक से अधिक बैठकें करके लंबित कंडिकाओं की जांच करके प्रतिवेदन प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
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