रायपुर, CG (INDIA): भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के आह्वान पर मनाए जा रहे "गाजर घास (पार्थेनियम) जागरूकता सप्ताह” (16 से 22 अगस्त) के तहत भाकृअनुप-राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान (निब्सम), बरोंदा, रायपुर में आज जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार राय के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिक, तकनीकी, प्रशासनिक एवं सहायक स्टाफ ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस नामक यह आक्रामक खरपतवार 1950 के दशक में आयातित गेहूं के साथ भारत में प्रवेश कर गया था और आज देशभर में तेजी से फैल चुका है। यह न केवल फसलों की पैदावार घटाता है और चारे के स्रोतों को प्रभावित करता है, बल्कि जैव विविधता को भी खतरे में डाल रहा है। साथ ही, इससे त्वचा रोग, एलर्जी और श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो रहे हैं।
जागरूकता सत्र के बाद संस्थान परिसर में व्यापक सफाई एवं उन्मूलन अभियान चलाया गया। सभी कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से चिन्हित क्षेत्रों से गाजर घास को हटाया और परिसर को खरपतवार मुक्त बनाने की दिशा में सक्रिय योगदान दिया।
कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों द्वारा गाजर घास मुक्त परिसर बनाए रखने, इसके प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने और पर्यावरण–अनुकूल प्रबंधन उपायों को अपनाने की शपथ के साथ किया गया।
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