नई दिल्ली: भारत की संसद के लिए नई सुविधाओं से लैस भवन और भारत सरकार के सभी मंत्रालयों के कामकाज के लिए एक कुशल और टिकाऊ केंद्रीय सचिवालय का निर्माण करके शासन प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य वाली सेंट्रल विस्टा परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। नया संसद भवन अपने सभी सदस्यों और हितधारकों को बिल्कुल नया अनुभव प्रदान करने के लिए स्वाभाविक रूप से अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी समाधानों से लैस होना चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री नई संसद को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के साक्षी के रूप में देखते हैं जहां 21वीं सदी के भारत की महत्वाकांक्षाओं को साकार किया जाएगा। यह कल्पना की गई है कि नई संसद 2022 में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ में नए भारत की जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुरूप होगी। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ नए बुनियादी ढांचे का मिलान करने और सांसदों तथा हितधारकों को अपने कर्तव्यों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने में सक्षम बनाने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय डिजिटल संसद विकसित कर रहा है। यह एक ऐसा मंच है जो नागरिकों, सांसदों और अन्य सभी हितधारकों को एक साथ लाता है। सांसदों के लिए डिजिटल संसद की अवधारणा और प्रमुख विशेषताओं और गुणों के बारे में बताते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस मंच को दूरदर्शी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सरकार के डिजिटलीकरण के दृष्टिकोण के अनुरूप और नागरिकों के साथ संपर्क को बढ़ाने के लिए डिजिटल नागरिक को बढ़ावा देने वाला बताया। यह एक वन स्टॉप, निर्बाध, कागज रहित और एक परिष्कृत मंच है जो समय के साथ विकसित, आधुनिकीकरण और नवाचार करना जारी रखेगा। पहले संस्करण को 140 दिनों में और उसके बाद संस्करण 2 को 12 महीनों में और उसके बाद संस्करण 3 को जारी किया जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) भारतीय संसद के कामकाज के पूरे स्पेक्ट्रम को कवर करते हुए 3 साल के भीतर ऐप के 3 संस्करण विकसित करेगा। Source: Agency
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