भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि शिवपुरी ऐतिहासिक प्राचीन पर्यटन नगरी है। नेशनल पार्क में आज दो बाघ के छोड़ने से अब शिवपुरी अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर पहचाना जाएगा। पर्यावरण-संरक्षण एवं संवर्धन के लिये बाघों का संरक्षण और उनकी सुरक्षा भी करना होगी। उन्होंने कहा कि शिवपुरी में बाघों के आने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और देशी एवं विदेशी पर्यटकों के आने से जिले की इकोनॉमी भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में बाघ का एक जोड़ा छोड़ा। मुख्यमंत्री ने बाघ मित्रों से संवाद करते हुए कहा कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क से मादा और सतपुड़ा नेशनल पार्क से नर बाघ शिवपुरी लाया गया है। शीघ्र ही तीन बाघ और लाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बाघ मित्रों से कहा कि हमें बाघ और वन्य-प्राणियों के संरक्षण के लिये लोगों को जागरूक कर बताना होगा कि वन्य-प्राणी हमारे मित्र है और हमें उन्हें संरक्षण देना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाघ प्रोजेक्ट में बाघों के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ अधो-संरचना के कार्य भी किए जायेंगे। साथ ही गाइड, होटल एवं टैक्सी संचालकों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। होम-स्टे को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे बाहर से आने वाले सैलानियों को प्राकृतिक एवं खुले वातावरण में बाघ एवं वन्य-प्राणियों को देखने का अवसर मिलेगा। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के साथ स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदेश के लिए बड़ी खुशी की बात है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में चीते छोड़े थे। आज शिवपुरी के नेशनल पार्क में दो बाघ छोड़े गए हैं। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सिंधिया ने कहा कि 27 वर्षों के बाद माधव नेशनल पार्क में अब बाघों की दहाड़ सुनने के साथ सैलानियों को उन्हें देखने का भी अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि शिवपुरी सहित अंचल के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है और क्षेत्र के लिए गौरव की बात भी है। उन्होंने कहा कि उनके पूज्य पिताजी स्व. माधवराव सिंधिया की जयंती पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से आज माधव नेशनल पार्क में पुनः बाघों को विस्थापित किया गया है। दूसरे चरण में 3 बाघ और लाए जाएंगे। सिंधिया ने कहा कि बाघों के आने से जहाँ पर्यावरण संतुलित होगा, वही स्थानीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे क्षेत्र की आर्थिक संपन्नता भी बढ़ेगी।
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