नई दिल्ली: ग्रामीण महिलाओं में उचित पोषण के अभाव, खून की कमी और कम वजन वाले बच्चों के जन्म के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) (Deen Dayal Upadhayaya Grameen Kaushalya Yojana DDU-GKY) तथा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों (आरएसईटीआई-आरसेटी) (Rural Self Employment Training Institutes - RSETI) की पांच हजार से अधिक प्रशिक्षुओं ने देशभर में 100 से अधिक रैलियों का आयोजन किया। “कुपोषण से आजादी” रैलियों का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रतीक-सप्ताह के अंग के रूप में किया गया। विभिन्न हितधारकों, जैसे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, आरसेटी, परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियां, कार्यक्रम लाभार्थियों आदि ग्रामीण महिलाओं के बीच पोषण का महत्त्व उजागर करने के लिये एकजुट हुये। महिला उम्मीदवारों ने गांवों में मार्च निकाला और वे साइकिलें लेकर निकलीं। वे इन रैलियों में सूचनात्मक तख्तियां और पोस्टर लिये हुए थीं। दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) का शुभारंभ 25 सितंबर, 2014 को किया गया था। यह देशव्यापी रोजगारयुक्त कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसका वित्तपोषण केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय करता है। डीडीयू-जीकेवाई के तहत ग्रामीण निर्धन युवाओं का रोजगारयुक्त कौशल निर्माण किया जाता है तथा उन्हें अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों में दिहाड़ी रोजगार दिलाया जाता है। यह कार्यक्रम इस तरह तैयार किया गया है कि कम से कम 70 प्रतिशत प्रशिक्षित उम्मीदवारों को गारंटी से रोजगार मिल जाये। यह न्यूनतम अनिवार्य प्रमाणीकरण की दिशा में अग्रसर है। रोजगार को केंद्र में रखते हुये ग्रामीण निर्धन युवाओं के लिये 27 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में डीडीयू-जीकेवाई कार्यक्रम को क्रियान्वित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 871 से अधिक परियोजना क्रियान्वयन एजेंसियां (पीआईए) ग्रामीण निर्धन युवाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं, जो 2381 से अधिक प्रशिक्षण केंद्रों में लगभग 611 रोजगारों से संबंधित हैं। कुल मिलाकर 11.52 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है तथा 28 फरवरी, 2022 तक 7.15 लाख युवाओं को रोजगार मिल चुका है। आरसेटी (ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान) केंद्रीय कार्यक्रम ग्रामीण विकास मंत्रालय, राज्य सरकारों और प्रायोजित करने वाले बैंकों के बीच त्रिपक्षीय साझेदारी है। बैंकों को यह अधिकार है कि वे अपने-अपने प्रमुख जिले में कम से कम एक आरसेटी खोलें, ताकि ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा सके तथा उन्हें स्वरोजगार/उद्यम चलाने के लिये तैयार किया जा सके। आरसेटी कार्यक्रम अल्पकालीन प्रशिक्षण और उद्यमियों की दीर्घकालीन सहायता के सिद्धांत पर अमल करता है। प्रशिक्षण में शामिल होने के लिये 18-45 आयुवर्ग के ग्रामीण निर्धन युवा पात्र हैं। आरसेटी संस्थान ग्रामीण निर्धन युवाओं की आकांक्षाओं को समझने, उन्हें उद्यम के लिये तैयार करने और उनके उद्यमी कौशल को बढ़ाने में अग्रणी प्रतिष्ठान के रूप में स्थापित हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि 64 पाठ्यक्रमों (59 नेशनल स्किल क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क-एनएसक्यूएफ और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अनुमोदित पांच पाठ्यक्रम के साथ जुड़े समस्त पाठ्यक्रम) के तहत 40.3 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया। इनमें से 28.39 लाख उम्मीदवारों का 28 फरवरी, 2022 तक समायोजन हो चुका है। इस कार्यक्रम को इस समय 28 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है। इसमें 585 चालू आरसेटी को 23 अग्रणी बैंकों द्वारा प्रायोजित किया गया है। इन बैंकों में सार्वजनिक, निजी सेक्टर सहित कुछ ग्रामीण बैंक भी शामिल हैं। Source: PIB
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