- कैरियर से पहले दो वर्ष तक करें भारत माता की सेवाः मुकुल कानिटकर
रायपुर: यदि भारत को विश्व गुरू बनाना है और भारत के स्वाधीनता के दायित्व को पूर्ण करना है तो इस देश के प्रत्येक युवा को पढ़ाई के बाद अपना कैरियर शुरू करने के पहले दो वर्ष भारत माता की सेवा करने का संकल्प लेना होगा। स्वाधीनता मिली बलिदानों से है और उसके स्वप्न को साकार भी बलिदान से किया जा सकता है। यह संकल्प लेकर युवा जीवन को सार्थक करें। यह बातें मैट्स यूनिवर्सिटी में स्वाधीनता का दायित्व विषय पर आयोजित परिचर्चा में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने मुख्य वक्ता के रूप में कहीं।
श्री कानिटकर ने कहा कि आज जब स्वाधीनता के 75 वर्ष का उत्सव सारा देश मना रहा है तब हमें यह स्मरण करने की आवश्यकता है कि स्वाधीनता की खातिर कितने ही वीरों ने बलिदान किया, अपने जीवन को हंसते-हंसते न्यौछावर कर दिया। अपने आपको समर्पित कर दिया, अपने यौवन को लगा दिया। श्री कानटकर ने कहा कि हमारे वनवासी क्षेत्र के जनजाति भाइयों ने जो संघर्ष किया, वहां से प्रारंभ होते हुए फिर 1857 की लड़ाई और विभिन्न प्रकार के आंदोलन। कितने लोगों ने अपने जीवन का सर्वस्व होम कर दिया। युवावस्था में ही अपने जीवन के सपनों को मातृभूमि के लिए न्यौछावर करने वाले हजारों वीरों के बलिदान से हमारा देश आज स्वतंत्र है। इस स्वाधीनता का दायित्व क्या है, जो स्वाधीनता बलिदान के बाद मिली है हमें अपने जीवन में उसका दायित्व निभाना पड़ेगा। इस देश के हर युवा को अपने जीवन की दिशा तय करने से पहले, अपने कैरियर का निर्माण करने से पहले यह निर्णय लेना होगा कि वे कम से कम दो वर्ष तक भारत माता की सेवा करें। इस देश के लिए अपना बलिदाने देने वाले वीरों के स्वप्न अभी भी अधूरे हैं जिन्हें पूर्ण करना हम सबकी जवाबदारी है।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने कहा कि हर व्यक्ति विशेषकर विद्यार्थियों के लिए योग कितना आवश्यक है इस बात को सभी को समझने की आवश्यकता है। दो वर्ष के करोना काल में हमें यह सबक मिला है कि मानव जीवन में महत्वपूर्ण है स्वास्थ्य। हम सभी अपने जीवन में योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। श्री शर्मा ने इस अवसर पर श्री कानिटकर जी से अनुरोध किया कि नई शिक्षा नीति में निजी विश्वविद्यालयों व कालेजों को भी पूर्व में अनुदान मिला करता था किन्तु दुर्भाग्य से केवल शासकीय संस्थानों को ही लाभ मिल पा रहा है। निजी संस्थानों को भी लाभ मिले।
इसके पूर्व मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति गजराज पगारिया ने कहा कि मैट्स यूनिवर्सिटी के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि मुकुल कानिटकर जी हमारे बीच उपस्थित हैं। जो अपनी विद्वता के लिए पूरे देश में जाने जाते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा के उत्थान व आधुनिकरण के लिए समपर्पित किया है। इनके प्रयासों का ही परिणाम है कि रोजगारमूलक नई शिक्षा नीति लागू हुई। इस अवसर पर अतिथियों ने मैट्स यूनिवर्सिटी में योग के सर्वसुविधायुक्त नवीनतम हॉल तथा सायकोलॉजी लैब का उद्घाटन किया। मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति गजराज पगारिया ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इसके पूर्व कुलपति प्रो. के.पी. यादव ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। समारोह का सफल संचालन डॉ. आर्ची दुबे ने किया। शारीरिक शिक्षा एवं योग विभाग के सहायक प्राध्यापक गोपेंद्र कुमार साहू ने योग गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल के डॉ. पी.के. वाजपेयी, डॉ. नीता वाजपेयी, देवेंद्र पवार, हरिश काले; मैट्स यूनिवर्सिटी के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण व विद्यार्थीगण उपस्थित थे।