बी. फार्म (प्रैक्टिस) एक ब्रिज कोर्स है जो डिप्लोमा पंजीकृत और कार्यरत फार्मासिस्टों को अतिरिक्त योग्यता और स्नातक डिग्री प्रदान करता है। यह उन फार्मासिस्ट के लिये एक प्रगतिशील योजना है जो किसी कारण अपनी शैक्षणिक योगिता को नहीं बढ़ा पाये, ऐसे फार्मासिस्टों के लिये यह योजना लाये है। यह बैचलर ऑफ फार्मेसी प्रैक्टिस में डिग्री होने का प्रमाण पत्र होगा फार्मेसी अधिनियम, 1948 के तहत फार्मासिस्ट के रजिस्टर में दर्ज की जाने वाली अतिरिक्त योग्यता है।
इस कोर्स के लिये शासन द्वारा (फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया ) भारत ने फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 12 के तहत मंजूरी दी है।
* पाठ्यक्रम की अवधि दो शैक्षणिक वर्षों की होगी
* प्रत्येक सप्ताह/प्रति विषय/एक घंटे की समयावधि विनियमित है
* फार्मेसी काउंसिल द्वारा अनुमोदित संस्थान से फार्मेसी कोर्स में डिप्लोमा पास
* फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 12 के तहत मंजूरी एवं फार्मेसी अधिनियम के तहत एक पंजीकृत फार्मासिस्ट।
* किसी समुदाय या अस्पताल फार्मेसी में फार्मेसी अभ्यास का न्यूनतम चार साल का अनुभव अस्पताल/स्वास्थ्य इकाई के प्राचार्य/चिकित्सा अधीक्षक/सक्षम व्यक्ति का यह कथन कि उम्मीदवार फार्मासिस्ट के रूप में काम कर रहा है, अस्पताल फार्मासिस्ट के मामले में अभ्यास अनुभव के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
* नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाण पत्र
वास्तव में यह कोर्स इंडिया जैसे विकाशसील देश के लिये बहुत उपयोगी एवं फायदेमंद रहेगी एवं स्वास्थ्य सेवाओं में क्रन्तिकारी बदलाव लाएगा कोरोना वायरस के बाद देश के तमाम सेक्टर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा. कुछ तो बिल्कुल बंद हो गए वहीं कुछ अभी तक उबर नहीं पाए हैं. ऐसे में फार्मेसी उन चुनिंदा क्षेत्रों में से एक था, जो कोरोना महामारी के बावजूद सबसे ज्यादा तेजी से आगे बढ़ा.
इस लेख के लेखक वर्तमान में कोलंबिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी रायपुर में बतौर सह प्राध्यापक कार्यरत हैं।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)
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