नई दिल्ली: क्षय रोग के खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दिखाने वाले एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इंडियन ऑयल (इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय टीबी डिविजन (सीटीडी) तथा उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ज्ञापन कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के हिस्से के रूप में है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया एवं केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। भारत के बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर टीबी मामलों का सर्वाधिक बोझ हैं। एक बहु-आयामी दृष्टिकोण के साथ, जो टीबी के विभिन्न चरणों में सभी पहलुओं को देखता है, आईओसीएल के सीएसआर के हिस्से के रूप में इस महत्वाकांक्षी टीबी उन्मूलन अभियान का उद्देश्य संभावित टीबी की शीघ्र पहचान सुनिश्चित करना और दरवाजे पर उच्च संवेदनशील नैदानिक परीक्षणों का उपयोग करके शीघ्र निदान सुनिश्चित करना है। इस अभियान का उद्देश्य उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोगों को नि:शुल्क उच्च गुणवत्ता वाले टीबी उपचार, देखभाल और सहायता सेवाओं तक स्थायी एवं न्यायसंगत पहुंच प्रदान करना है। इस शानदार पहल के साथ, इंडियन ऑयल उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में लगभग 64 करोड़ रुपये निवेश करके एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान (एसीएफ) में राज्य के प्रयासों में पूरक बनने वाली पहली कंपनी के रूप में उभरी है, जो तीन वर्ष के लिए वर्ष में एक बार लगभग 10 प्रतिशत आबादी को कवर करती है। इंडियन ऑयल उत्तर प्रदेश में अत्याधुनिक नैदानिक टेक्नोलॉजी से लैस 18 मोबाइल मेडिकल वैन भी देगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में तथा दुर्गम समुदायों में टीबी के निदान में सहायता मिलेगी। इससे मामलों का शीघ्र पता लगाने में सुधार होगा और प्रारंभिक उपचार सुनिश्चित हो सकेगा। इंडियन ऑयल एक लागत प्रभावी, नवीन मॉलिक्यूलर नैदानिक मशीन देगा, जो उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जिलों तथा छत्तीसगढ़ के दूरवर्ती जनजातीय क्षेत्रों में टीबी नैदानिक सेवाओं की पहुंच, उपलब्धता और उपयोग में सुधार करेगा। उत्तर प्रदेश के लिए शुरू की जा रही 18 मोबाइल मेडिकल वैन में ट्रूनेट मशीनें प्रदान करने के अतिरिक्त, इंडियन ऑयल उत्तर प्रदेश के सभी 8 आकांक्षात्मक जिलों (बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर तथा सोनभद्र) और छत्तीसगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की सभी क्षय रोग इकाइयों में लगभग 100 मशीनें देगी। इसके अतिरिक्त कंपनी उत्तर प्रदेश में सभी 18 राज्य मुख्यालयों तथा 8 आकांक्षी जिलों को कवर करने वाली हैंडहेल्ड एक्सरे यूनिटें भी उपलब्ध कराएगी। छत्तीसगढ़ के 5 डिविजनों में एक्सरे यूनिटें भी उपलब्ध कराई जाएंगी। डॉ. मांडविया ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की प्रशंसा करते हुए कहा कि टीबी के खतरे को समाप्त करने के लिए इस समझौता ज्ञापन का अत्यधिक महत्व हैं। उन्होंने कहा कि “समग्र प्रशासन के दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में, दोनों मंत्रालयों ने इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से सहयोग किया है। यह समझौता सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की प्राप्ति से पांच वर्ष पहले 2025 तक भारत में क्षय रोग के उन्मूलन के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को मजबूत बनाएगा।" उन्होंने कहा कि समझौता ज्ञापन के हिस्से के रूप में दी गई नैदानिक सहायता टीबी रोगियों की पहचान करने के प्रयासों को मजबूत बनाएगी, जिससे समय पर उपचार संभव हो सके। 2025 तक क्षय रोग के उन्मूलन की दिशा में भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, केंद्रीय मंत्री ने नि-क्षय 2.0 पहल के अंतर्गत उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस पहल को हाल ही में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा प्रारंभ किया गया था। उन्होंने कहा, "योजना प्रारंभ होने के 15 दिनों के भीतर, भारत में सभी 12 लाख चिन्हित और सहमति प्राप्त क्षय रोगियों को नि-क्षय मित्रों द्वारा कवर किया गया। नि-क्षय मित्र उन्हें पोषण किट और अन्य सहायता देते हैं।" इंडियन ऑयल को न केवल इस पहल के लिए बल्कि इसे लागू करने के एक बिंदु पर लाने के लिए धन्यवाद देते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि "यह महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन भारत में मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को आगे बढ़ाने में प्रधानमंत्री के विजन के साथ जोड़ने के भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के संकल्प की पुष्टि करता है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र को हमेशा पेट्रोलियम मंत्रालय के सीएसआर कार्यक्रमों के लिए प्राथमिकता मिली है। Source: PIB
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