रायपुर: वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (10 सितम्बर 2025) के अवसर पर मनोविज्ञान विभाग, मैट्स विश्वविद्यालय द्वारा एक विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. जगदीश सोनकर, (आईएएस एवं प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़) थे। व्याख्यान में डॉ. सोनकर ने आत्महत्या जैसे गंभीर विषय पर तीन प्रेरक कहानियाँ साझा कीं। इन कहानियों के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है। जीवन का असली अर्थ समस्याओ का सामना करके आगे बढ़ना है ।
उन्होंने यह भी बताया कि हमे मनुष्य जीवन रूपी वरदान मिला है और हमें हर परिस्थिति में उसका सम्मान करना चाहिए। जीवन एक अवसर है और इसे नष्ट करने की बजाय समझदारी, धैर्य और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। डॉ. सोनकर ने विद्यार्थियों को यह संदेश दिया कि चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यों न हों, उनका समाधान हमेशा जीवन में ही ढूँढा जा सकता है, मृत्यु में नहीं।
इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) के. पी. यादव (कुलपति, मैट्स विश्वविद्यालय) भी उपस्थित रहे। उन्होंने भारत में आत्महत्या की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए हालिया आँकड़े प्रस्तुत किए और युवाओं में बढ़ती इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए जागरूकता की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम के अंत में सभी ने यह शपथ ली कि हम जीवन को सशक्त बनाएगे और हम परिस्थतियों में उसे सवारेंगे।
इस अवसर पर 9 सितम्बर को आयोजित इंटर-डिपार्टमेंट पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। पुरस्कार वितरण का कार्य डॉ. जगदीश सोनकर ने स्वयं किया और विद्यार्थियों की रचनात्मकता एवं संवेदनशीलता की सराहना की।
मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) शाइस्ता अंसारी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए सभी अतिथियों और विद्यार्थियों का स्वागत किया। विभाग के संकाय सदस्य और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गजराज पगारिया, कुलसचिव गोकुलानंद पांडा तथा महानिदेशक प्रियेश पगारिया ने अपने शुभकामना संदेश विद्यार्थियों तक पहुँचाए और उन्हें दृढ़ निश्चय एवं परिश्रम के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
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