रायपुर Raipur, Chhattisgarh, India: 8 मार्च को पूरे विश्व में विश्व महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन द्वारा महिलाओं के कैंसर संबंधी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के फाउंडर एवं सीनियर कैंसर सर्जन डॉ यूसुफ मेमन, रक्त रोग एवं ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ विकास गोयल, क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अनिकेत ठोके, सीनियर कैंसर सर्जन डॉ अर्पण चतुर्मोहता एवं डॉ दिवाकर पांडेय, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ राकेश मिश्रा, सीनियर कैंसर सर्जन डॉ विवेक पटेल एवं डॉ कल्याण पांडेय, तथा पेन एवं पैलिएटिव मेडिसिन विशेषज्ञ एवं सपोर्टिव ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अविनाश तिवारी ने जागरूकता फैलाई।
इस कार्यक्रम में क्षेत्र की जागरूक महिलाएं, कैंसर पीड़ित महिलाएं और उनके परिजन, आमंत्रित महिला कैंसर सर्वाइवर्स एवं भी महिला स्टाफ ने हिस्सा लिया। कैंसर सर्वाइवर्स ने कैंसर ट्रीटमेंट की अपनी यात्रा के बारे में बताकर सभी को प्रोत्साहित किया।
डॉ यूसुफ मेमन ने बताया की आजकल सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए एचपीवीवैक्सीनेशन उपलब्ध है जिसे 9 से 15 वर्ष की बच्चों को लगवा कर भविष्य में उन्हें सर्वाइकल कैंसर के होने के खतरे से उन्हें बचाया जा सकता है। वैसे इसका सबसे बेहतर असर कम उम्र के बच्चों में पाया गया है पर इसे सिर्फ बच्चों में ही नहीं बल्कि खासकर अविव्याहित महिलाओं में भी लगाकर काफी हद तक सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है।
डॉ विकास गोयल ने बताया की मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग (अगर आखिरी मेंस्ट्रुअल के 12 से अधिक महीने बाद हो) होने के संकेत का महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए। इस तरह के रक्तस्राव कैंसर पूर्व विकार (जैसे गर्भाशय की परत का मोटा होना) या कैंसर होने का संकेत हो सकते हैं। यदि ऐसा रक्तस्राव होता है, तो महिलाओं को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि कैंसर होने ना होने की स्थिति को निश्चित किया जा सके या तुरंत उपचार किया जा सके।
डॉ अर्पण चतुर्मोहता व डॉ दिवाकर पांडेय ने बताया कि स्तन कैंसर का जल्दी पता लगाने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी, बायोप्सी, FNAC या MRI किया जा सकता है। इसके स्टेज का पता लगाने के लिए PET स्कैन भी किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि PET स्कैन से यह भी पता किया जा सकता है कि कोई स्तन कैंसर मल्टीफोकल तो नहीं है। अगर मल्टीफोकल है तो उसमें स्तन बचाने वाला इलाज नहीं किया जाता है। फ्रोज़नसेक्शन की मदद से स्तन बचाने वाला इलाज किया जाता है।
मेडिकल एवं क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ राकेश मिश्रा एवं डॉ अनिकेत ठोके ने बताया की पहले स्तन कैंसर के मामलों में कीमोथेरेपी की जरूरत सभी स्त्रियों में पड़ती थी, अब ओंकोटाइपडीएक्स, मेम्मा प्रिंट, कैनएसिस्ट, या प्रो सिग्ना जैसे एडवांस्डटेस्ट की मदद से ज्यादातर लोगों में कीमोथेरेपी की जरूरत को स्तन कैंसर के शुरुवातीस्टेज में कम किया जा सकता है। स्तन कैंसर के शुरुवातीस्टेज में लोकलाइज्डयूएसजीगाइडेडकोईललोकलाइजेशन द्वारा या उसके शेपटैटूइंग करके उसको कीमोथेरपी देने के बाद भी स्तन बचाने वाला इलाज किया जा सकता है।
डॉ अविनाश तिवारी ने कैंसर पीड़ित महिलाओं और उनके परिवार के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा की कैंसर जैसी गंभीर बीमारी ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकती है। अगर आपको अत्याधिक थकान, अनिद्रा, भूख ना लगना, खालीपन, ना जाने वाला दर्द जैसी कोई तकलीफ हो तो पैलिएटिव मेडिसिन विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं।
डॉ कल्याण पांडेय एवं डॉ विवेक पटेल ने बताया की जब कैंसर को शुरुवातीस्टेज में ही नष्ट किया जा सकता है, तो भारत में अक्सरएडवांस्डस्टेज के कैंसर डायग्नोस होने की वजह लोगों में जागरूकता की कमी होना है। लोग शुरुवाती संकेतों को नजरंदाज कर सेल्फमेडिकेशन कर लेते हैं, जिससे और भी नुकसान को संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने समस्त उपस्थित महिलाओं से अपने स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को ज्यादा गंभीरता से लेने और कोई लक्षण दिखने पर तुरंत कैंसर विशेषज्ञों से परामर्श लें।
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