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21 July 2024   Admin Desk



गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित "श्री शिवापराधक्षमापन" स्तोत्रम का विमोचन

संवाददाता संतोष उपाध्याय 

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के आशियाना में दिन रविवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर श्री गणेश जी की स्तुति के साथ आदि गुरु शंकराचार्य से भव्य कार्यक्रम की शुरुआत हुई। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित "श्री शिवापराधक्षमापन' स्तोत्रम कों जो व्यक्ति पढ़ेगा, उसका डगर आसान हो जाएगा। यह बात मेधज के संस्थापक डॉ समीर त्रिपाठी ने मेधज एस्ट्रो यूट्यूब चैनल पर "श्री शिवापराधक्षमापन" स्तोत्रम के भव्य विमोचन अवसर पर कहीं। गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित "श्री शिवापराधक्षमापन" स्तोत्रम का विमोचन डॉ समीर त्रिपाठी के साथ उनकी माता जी रेखा त्रिपाठी व भाई गुंजन त्रिपाठी ने दीप प्रज्जवलित कर किया । 

इस स्तोत्रम कों डॉ. समीर त्रिपाठी ने स्वर दिया है व संगीत सुरेश खरे व ओमी जी का हैं। मेधाज के मुख्यालय में इसके विमोचन के बाद डॉ. समीर त्रिपाठी ने कहा कि सावन का पावन महीना कल से शुरू हो रहा है। यह माह भगवान शिव के आराधना का है व अपराधों के क्षमा के लिए सर्वोत्तम है। इस माह में "श्री शिवापराधक्षमापन" स्तोत्रम का विशेष महत्व है। कलयुग में ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए यह सहायक है । 

गुरु पूर्णिमा पर गुरु के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि माता-पिता के बाद गुरु का ही स्थान आता है। गुरु हर समस्या का समाधान करता है। उन्होंने कहा कि पहले हिंदू समाज 84 संप्रदायों में बंटा हुआ था । द्वैत व अद्वैत को लेकर बड़ी लड़ाई थी। आदि गुरु शंकराचार्य जी ने शास्त्रार्थ कर सबको एक किया। इस अवसर पर डॉ. समीर त्रिपाठी की माताजी रेखा त्रिपाठी जी ने आदि शंकराचार्य जी व मंडल मिश्र जी के बीच हुए शास्त्रार्थ का विस्तार से वर्णन कर कहां की माता-पिता व गुरु जो कहे, बिना विचारे करना चाहिए। 

इस अवसर पर गुंजन त्रिपाठी सबका धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा आदि शंकराचार्य जी को नमन करने का दिन है। कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ.समीर त्रिपाठी ने बताया कि माता पिता के बाद गुरु का अधिक महत्व होता है। परंतु गुरु सोच समझ कर बनाए, जो आपके गुरु लायक हो। जो आपको भलीभाती समझ कर समस्या का समाधान निकाल सकता हो । 

कार्यक्रम के बीच में "श्री  शिवापराधक्षमापन" स्तोत्रम के संगीतकार सुरेश खरे व ओमी जी ने गणेश वंदना "एक दंताय" व भजन "जो प्रेम गली में आए नहीं प्रियतम का ठिकाना क्या जाने" सुना कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, वहीं डॉ. समीर त्रिपाठी ने अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम सुनाकर वाह वाही लूटी। इस अवसर पर भव्य भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित भक्तो ने प्रसाद ग्रहण किया।



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