Home >> State >> Chhattisgarh

14 November 2022   Admin Desk



कलिंगा विश्वविद्यालय में शोधपत्र लेखन कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का तीन दिवसीय आयोजन संपन्न

नया रायपुर: कलिंगा विश्वविद्यालय में शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति, साहित्य, इतिहास, राजनीति, जनजातीय समाज, जैव विविधता, वाणिज्य एवं तकनीकी विकास के विशेष संदर्भ में तीनदिवसीय शोधपत्र लेखन कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न विषय के विद्वान प्राध्यापकों ने विद्यार्थियों को शोधपत्र लेखन की बारीकियों से अवगत कराया। यह कार्यशाला स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को विशेष ध्यान में रखते हुए आयोजित की गयी थी। जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

कलिंगा विश्वविद्यालय में शोधपत्र लेखन कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का तीन दिवसीय आयोजन संपन्नविदित हो कि विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित कचना धुरवा महाविद्यालय छुरा, रायपुर के निदेशक एवं प्राचार्य डॉ. दिनेश साहू, कलिंगा विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुषमा दूबे एवं अन्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के पश्चात कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार शुक्ल ने कार्यशाला की रुपरेखा को स्पष्ट करते हुए बताया कि इस कार्यशाला में विभिन्न विद्वान प्राध्यापकों के द्वारा विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें आज से बीस दिन के उपरांत अपने प्राध्यापकों की मदद से शोधपत्र तैयार करके जमा करना होगा। जिसमें सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र तैयार करने वालों को प्रमाणपत्र एवं पुरस्कृत करने के साथ-साथ उनके शोधपत्र का प्रकाशन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त शोधपत्र लिखकर जमा करने वाले सभी विद्यार्थियों के शोधपत्र का प्रकाशन स्कोपस रिसर्च जर्नल सूची में संलग्न न्यूरोक्योन्टीलॉजी जर्नल के विशेष संस्करण में किया जाएगा। जिसके लिए विश्वविद्यालय के द्वारा समस्त सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी।

कार्यशाला के पहले दिन सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एन.के. धापेकर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शोध एक खोजपूर्ण और तथ्यपरक व्याख्या है। इसका प्रस्तुतिकरण और भी महत्वपूर्ण है। लेखन एक कला है। शोध लेखन उसका उच्चतम बिंदु है। वैश्विक स्तर पर कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते हमारा ज्ञान सदैव समतुल्य होना आवश्यक है। किसी भी शिक्षक एवं विद्यार्थी के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह सदैव अपने ज्ञान को अपडेट करते रहें। उन्होंने बताया कि एक अच्छा शोध पत्र लिखने के लिए हमें महत्वपूर्ण बिंदुओं की गंभीर समझ होनी जरूरी है। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि केवल शोधपत्र लिखना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि उसे ठीक से प्रस्तुत करने की कला भी शोधार्थियों में होनी चाहिए।

भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ए. राजशेखर ने कहा कि शोध पत्र लिखते समय सबसे महत्वपूर्ण है शीर्षक चयन, उसके बाद विषय से संबंधित ज्ञान का विश्लेषण और फिर समस्या का समाधान। शोधपत्र, समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में बड़ी भूमिका अदा करते हैं। शोध पत्र लेखन में गुणवत्ता, अच्छी भाषा शैली, नया विषय एवं क्षेत्र विशेष को ध्यान में रखना चाहिए। इसी क्रम में अंग्रेजी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. विजयभूषण ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को शोध लेखन व रिसर्च पेपर से संबंधित विषयों पर तकनीकी ज्ञान से अवगत कराया। जिसके अंतर्गत उन्होंने बताया कि शोध पत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय "नवीनता" है। उन्होंने शोधपत्र के प्रारुप पर विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दिया।

कार्यशाला के दूसरे दिन कला एवं मानविकी संकाय की अधिष्ठाता डॉ. शिल्पी भट्टाचार्य ने शोधपत्र लेखन के सामान्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एक अच्छा शोध पत्र लिखने के लिए हमें महत्वपूर्ण बिंदुओं की गंभीर समझ होनी जरूरी है। इसी क्रम में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता सामल ने रिसर्च की पूरी रूपरेखा को सविस्तार बताया। उन्होंने शोधार्थियों को ऐसे रिसर्च टॉपिक लेने को प्रेरित किया, जिससे वे लगाव महसूस करते हों। कार्यशाला के तीसरे दिन अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. विनीता दीवान ने छत्तीसगढ़ राज्य के संदर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि रिसर्च वर्क के समय प्राथमिक स्त्रोत की जानकारी बहुत जरुरी है। अपने आस पास के जाने-पहचाने विषय पर आप अपना रिसर्च पेपर तैयार कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि शोध पत्र लेखन में नैतिक एवं सामाजिक पक्षों का ध्यान रखा जाना चाहिए। शोध का विषय समाज को परिवर्तन देने वाला हो। नये विचार और नयी खोज पर विशेष ध्यान देते हुए कापी-पेस्ट से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को साहित्यिक चोरी और नकली जर्नल्स से बचते हुए ईमानदारीपूर्वक शोध कार्य करना चाहिए। ज्ञान एवं समाज के विकास के लिए शोधकार्य बहुत जरूरी है। इसी क्रम में जैव प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुषमा दूबे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि शोध का विषय समाज को परिवर्तन देने वाला होना चाहिए, जिससे संपूर्ण मानव जाति का फायदा हो सके। उन्होंने विश्वविद्यालय में उपलब्ध ई-संसाधनों के प्रभावी उपयोग के द्वारा अच्छे शोध पत्र लिखने की विभिन्न तकनीकों के बारे में बताया तथा शोधपत्र में प्लेगरिज्म चेक की आवश्यकता के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान किया।

उक्त तीन दिवसीय कार्यशाला का संचालन हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय शुक्ला के द्वारा एवं आभार प्रदर्शन इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक चंदन सिंह राजपूत ने किया। इस अवसर पर कला एवं मानविकी संकाय की डीन डॉ. शिल्पी भट्टाचार्य, डॉ. ए. राजशेखर, डॉ. एन. के. धापेकर, डॉ. अनिता सामल, डॉ. विजय भूषण, डॉ. सुषमा दूबे, पीयूष दास, सुश्री वफी अहमद खान, चंदन सिंह राजपूत, सुश्री मधुमिता दास, सुश्री एल. ज्योति रेड्डी एवं विभिन्न संकाय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थें।



Photo Gallery

Related Post

Important Links

© Bharatiya Digital News. All Rights Reserved. Developed by TechnoDeva