29 December 2022   Admin Desk



रायपुर: मोहम्मद ज़फ़र छत्तीसगढ़ के प्रथम हार्डवेयर किंग थे

रायपुर: 1911 मैं जब इमदादी शॉप की स्थापना हुई थी तब मुश्किल दौर से गुजर रहे इमदादी परिवार में किसी ने नहीं सोचा था की ताहेर भाई, सैफुद्दीन भाई और मोहम्मद भाई भाइयों की यह तिकड़ी हार्डवेयर के नक्षत्र में धूमकेतु की तरह छा जाएगी। जब नन्हे मोहम्मद भाई अपने वालिद ईमदाद अली की उंगली पकड़ कर दुकान जाया करते थे तब किसी को यह अंदाज़ा। नही था कि एक दिन इसी बालक की मुट्ठी में हार्डवेयर जगत होगा। घड़ी सुधारक के काम से केरियर की शुरुआत करने वाले इस शख्स ने परिवार के समय को ठीक कर दिया। ये घड़ी को नही बल्कि समय को सुधारने वाले घड़ी साज़ साबित हुए। इमदादी शॉप की स्थापना के समय भी हार्डवेयर का व्यवसाय हुआ करता था लेकिन मोहम्मद भाई जफर ने हार्डवेयर के व्यवसाय को गरिमा और ऊंचाई प्रदान की उस समय गहने और ड्राई फ्रूट के व्यवसाय में ही भव्यता थी यह मोहम्मद भाई जफर का ही कमाल था कि इन्होंने हार्डवेयर के व्यापार में भी ग्लैमर पैदा कर दिया । व्यापार में योजनाओं का वही स्थान है जो स्थान धर्म में पवित्र पुस्तकों का है। मोहम्मद भाई की योजनाओं में जो दूर दृष्टि मौजूद थी उसके परिणाम स्वरूप पीडब्ल्यूडी में बाजार सप्लाई के अंतर्गत लगातार 25 साल तक ईमदादी शॉप का एकक्षत्र राज्य रहा। बाद के दिनों में इमदादी शॉप की जबरदस्त कामयाबी से प्रभावित होकर ही रायपुर के बाजार में रवि ट्रेडर्स, शंकर पेंट्स, आनंद इंटरप्राइजेज, गुप्ता हार्डवेयर और सुदामा नट बोल्ट जैसी व्यवसायिक संस्थाओं की स्थापना हुई। मोहम्मद भाई की व्यवसायिक दृष्टि का एक सबूत उनका आमानाका मैं पेंट फैक्ट्री की कल्पना का जीता जागता उदाहरण है। हाजी ताहिर भाई सैफुद्दीन भाई और मोहम्मद भाई की कार्य प्रणाली की प्रशंसा करते हुए सेल टैक्स के रिटायर्ड असिस्टेंट कमिश्नर महेंद्र कुमार ठाकुर कहते हैं कि जब मेरे नेतृत्व में सेल टेक्स विभाग की टीम ने इमदादी शॉप में दबिश दी उसी दिन उनके रिश्तेदार अब्दुल्ला भाई (तालिब भाई और फसल अब्बास भाई के वालिद) का निधन हो गया था और इमदादी परिवार को वहां जाना था। मैंने कहा कि मैं अपने सीनियर ऑफिसर से बात करता हूं कि इस स्थिति में हमको क्या करना है? तब मोहम्मद भाई ने कहा था कि आप अपना काम करिए आपकी नज़र में हमारा स्टॉक और आपके हाथ में हमारे खाता बही है हमारे व्यापार में ऐसा कुछ भी नहीं है जो अघोषित हो। ऐसे साफ-सुथरे और पारदर्शी धंधे के एक हिस्सा थे मोहम्मद भाई ज़फ़र। जिन दिनों रुद्री डैम, माढ़म सिल्ली डैम, भिलाई नगर और कोरबा में कालरी का निर्माण हो रहा था उस समय अधिकारी और ठेकेदारों को चिंता होती थी कि इतने किस्म और इतनी बड़ी मात्रा में सामान कैसे करें उपलब्ध होगा? तो उनसे कहा जाता था टेंशन क्यों लेते हो imdadi shop है न। आज इमदादी शॉप का जो एंपायर नजर आता है उसके एक मजबूत और महत्वपूर्ण पिल्लर थे मोहम्मद भाई जफर साहब। आज उनके पुत्र और प्रपोत्र अब्बास भाई, मंसूर भाई, शब्बीर भाई, हुजैफा, हुसैन, मोहम्मद, अली एक्याम, इब्राहिम और युनुस जो अलग-अलग किस्म के व्यापार में अपने नाम की पताका लहरा रहे हैं यह सब मोहम्मद चचा की कक्षा के ही छात्र है। 28 दिसंबर 22 को उद्योग एवं व्यवसाय का यह सूरज अपनी रोशनी और तपन बिखेरने के पश्चात अस्त हो गया। कहते है सूरज कभी डूबता नही दूसरी दिशा से पुनः उगता है। शेख मंसूर भाई एवं परिवार द्धारा आमनाका में मस्जिद निर्माण मोहम्मद भाई और उनके परिवार को सैकड़ों वर्ष तक बाकी रखने का उपक्रम साबित होगा।



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