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21 August 2025   bharatiya digital news Admin Desk



UPSIFS का तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय शिखर सम्मलेन सकुशल संपन्न

फोरेंसिक व कानूनी विशेषज्ञों के लिए UPSIFS मील का पत्थर साबित होगा: जस्टिस राजेश सिंह चौहान फोरेंसिक विज्ञान के आधुनिक आयामों को स्थापित करने में UPSIFS का महत्वपूर्ण योगदान: जस्टिस राजीव सिंह

संवाददाता  - सन्तोष उपाध्याय 

लखनऊ, UP (INDIA): उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय शिखर सम्मलेन सकुशल संपन्न हुआ।  समापन सत्र के मुख्य अतिथि जस्टिस राजेश सिंह चौहान तथा अति विशिष्ट अतिथि जस्टिस राजीव सिंह थे, साथ में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. पोरवी पोखरियाल निदेशक NFSU दिल्ली, डॉ अमरपाल सिंह VC,RMLNLU, एवं बृजेश सिंह आइपीएस महाराष्ट्र , मंचासीन थे, जिन्हें संस्थापक निदेशक डॉ. जी. के. गोस्वामी एवं अपर निदेशक राजीव मल्होत्रा ने प्रतीक चिन्ह एवं अंग वस्त्रम भेट कर उनका स्वागत एवं सम्मान किया। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान हाई कोर्ट लखनऊ बेंच ने कहा कि यूपीएसआईएफएस संस्थान अपनी फोरेंसिक गुणवत्ता, विश्व स्तरीय उपकरणों और अत्याधुनिक पाठ्यक्रमों के कारण एक दिन  ऊँचाइयों को छूएगा। उन्होंने कहा कि आज के समय में फोरेंसिक विज्ञान का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है और यूपीएसआईएफएस इस क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले संस्थानों में अग्रणी बन रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यूपीएसआईएफएस में उपयोग किए जाने वाले आधुनिक उपकरण और तकनीक फोरेंसिक जांचों को अधिक प्रभावशाली और सटीक बनाते हैं। उन्होंने ने उम्मीद जताई कि इस संस्थान की प्रतिबद्धता और गुणवत्ता इसे राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्धि दिलाएगी और यह भविष्य के फोरेंसिक वैज्ञानिकों व कानूनी विशेषज्ञों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। 

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि जस्टिस राजीव सिंह हाई कोर्ट लखनऊ बेंच ने कहा कि भारत में फोरेंसिक विज्ञान तेजी से बदल रहा है और इस क्षेत्र में यूपीएसआईएफएस अग्रणी भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि यूपीएसआईएफएस किसी भी अन्य प्रतिष्ठित संस्थान से पीछे नहीं है और यह देश में फोरेंसिक विज्ञान के आधुनिक आयामों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यूपीएसआईएफएस में उपलब्ध अत्याधुनिक तकनीक, विश्वस्तरीय उपकरण और उच्च गुणवत्ता के प्रशिक्षण कार्यक्रम फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में नई प्रगति के लिए मजबूत आधार प्रदान करते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यूपीएसआईएफएस की प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी पहचान बनाएगी। विशिष्ट अतिथि प्रो. अमर पाल सिंह ने अपने समापन संबोधन में कानून और तकनीक के अंतरसंबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने चेताया कि तकनीकी विकास की गति इतनी तेज है कि कानून उसके पीछे छूट जाता है, जिसे उन्होंने इसे “टेक्नोलॉजिकल ओवररन” कहा। उनके अनुसार कानून का दायित्व केवल प्रतिक्रिया देना नहीं बल्कि परिवर्तन को सही दिशा देना है। अतिथि वक्ता प्रो. पूर्वी पोखरियाल ने साइबर अपराध को सीमाहीन अपराध बताते हुए कहा कि केवल भारतीय कानून जैसे आईटी एक्ट या DPDP एक्ट पर्याप्त नहीं हैं। भारत को यूरोप, अमेरिका और चीन के अनुभवों से सीखना होगा। उन्होंने बुडापेस्ट कन्वेंशन और आगामी संयुक्त राष्ट्र साइबर अपराध कन्वेंशन (अक्टूबर 2025) का उल्लेख किया तथा बताया कि भारत में अब तक लगभग तेईस हजार  करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका है। उन्होंने अकादमिक संस्थानों, सरकार और उद्योग के सहयोग, साइबर सुरक्षा में व्यावहारिक प्रशिक्षण, तथा फॉरेंसिक मानकीकरण पर बल दिया।

अतिथि वक्ता एडीजी बृजेश सिंह ने कहा कि न्याय और क़ानून का शासन किसी भी राष्ट्र की मजबूती की नींव है। कानून बनाना आसान है, पर संस्थाएँ बनाना सबसे कठिन कार्य है। उन्होंने भारत में विकसित विश्वस्तरीय फॉरेंसिक अवसंरचना की सराहना की और कहा कि वैज्ञानिक जांच के बिना दोषसिद्धि दर कम रहती है। साइबर अपराध को उन्होंने परिवर्तनकारी खतरा बताते हुए भविष्य की चुनौतियों के लिए सतत् निवेश और तैयारी पर बल दिया। सत्र के अंत में संस्थापक निदेशक डॉ जी.के. गोस्वामी ने कहा कि “Law with Labs” कानूनी शिक्षा में व्यावहारिक फोरेंसिक प्रशिक्षण को जोड़ता है ताकि भविष्य के विधिक पेशेवरों को वैज्ञानिक साक्ष्यों का बेहतर ज्ञान मिले। FAAS (फोरेंसिक एज ए सर्विस) एक ऑन-डिमांड सेवा है जो कानूनी और पुलिस विभागों को फोरेंसिक विशेषज्ञता उपलब्ध कराती है। ये पहलें UPSIFS में सफलतापूर्वक लागू हो चुकी हैं और साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक्स के संदर्भ में अत्यधिक प्रासंगिक साबित हो रही हैं। उन्होंने ने फोरेंसिक विज्ञान को विज्ञान और कानून के संगम के रूप में प्रस्तुत किया कहा कि जहाँ विज्ञान उपकरणों और तरीकों की आपूर्ति करता है, वहीं कानून उन्हें उद्देश्य और दिशा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि कानूनी ढांचे की समझ अनिवार्य है, क्योंकि न्यायपालिका में प्रक्रिया की निष्पक्षता और प्रमाणों की गुणवत्ता न्याय की नींव हैं। बिना कानूनी ज्ञान के फोरेंसिक विज्ञान अधूरा रहता है। उन्होंने फोरेंसिक विज्ञान को “सत्य को उजागर करने वाला सूक्ष्मदर्शी” बताया। मानव साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन सही तरीके से संग्रहित और प्रस्तुत किए गए फोरेंसिक प्रमाण न्याय में तटस्थता और पुष्टि प्रदान करते हैं।

इस अवसर पर संस्थान के अपर निदेशक राजीव मल्होत्रा ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का भी आभार व्यक्त किया कहा कि जिनके सहयोग और समर्थन से यह कार्यक्रम सुचारु रूप से संचालित और संपन्न हुआ इसका श्रेय निदेशक डॉ गोस्वामी को जाता है। उन्होंने अतिथि वक्ताओं डॉ. अरुण मोहन शेरी, शैलेश चिर्पुत्कर, पवन शर्मा  को भी धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर संस्थान के अपर पुलिस अधीक्षक  चिरंजिब मुखर्जी, अतुल यादव, सहायक रजिस्ट्रार सीएम सिंह, डॉ. श्रुतिदास गुप्ता, जनसंपर्क अधिकारी  संतोष तिवारी, प्रियांशु बाजपेयी, डॉ. सपना शर्मा, डॉ. ऋतू छाबड़ा,निकिता चौधरी, डॉ. नीताशा, डॉ. पोरवी सिंह  गिरिजेश राय, डॉ नेहा, प्रतिसार निरीक्षक बृजेश, शैलेन्द्र सिंह , अमर  सिंह, कार्तिकेय  सहित संस्थान के शैक्षणिक संवर्ग के संकाय उपस्थित रहे।



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