लखनऊ सवांददाता-सन्तोष उपाध्याय
लखनऊ LUCKNOW: राजधानी लखनऊ में कृष्णा देवी गर्ल्स डिग्री कॉलेज लखनऊ में प्राचार्या प्रोफेसर सारिका दुबे के कुशल दिशा निर्देशन में 'हिंदी- दिवस' के अवसर पर 'परिचर्चा' का आयोजन किया गया। जिसका विषय - 'भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति और हिंदी का राष्ट्रीय महत्व' रहा।
महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सारिका दुबे ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारे देश में 14 सितंबर 1949 को संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया, आज हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए और हमें अपने बच्चों को भी अपनी भाषा पर गर्व करना सिखाना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य मुख्य अतिथि शैलेंद्र दुबे, अध्यक्ष ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति और हिंदी के राष्ट्रीय महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि जब तक हिंदी को रोजगार से नहीं जोड़ा जाएगा अर्थात रोजगार के आधार में हिंदी नहीं होगी कब तक हिंदी को उसका स्थान दिला पाना एक मुश्किल काम है। उन्होंने कहा की हिंदी के राष्ट्रीय एकता में सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व जग जाहिर है किंतु रोजगार के लिए आज भी अंग्रेजी बोलना और अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी माना जाता है। उन्होंने कहा कि हिन्दी की स्वतंत्रता आन्दोलन में बड़ी भूमिका रही है किन्तु अत्यन्त खेद का विषय है कि हिन्दी को स्वतन्त्रता के बाद वह स्थान आज तक नहीं मिला जो अन्य देशों में राष्ट्र भाषा को मिलता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रमोद शुक्ला, वरिष्ठ जेल अधीक्षक सेवानिवृत्त ने अपने प्रभावपूर्ण वक्तव्यों द्वारा कहा कि हिंदी भाषा दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है उन्होंने बताया कि हिंदी के विकास मे कवियों लेखकों और रिसर्च करने वालों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिसमें भारतीय और विदेशी दोनों शामिल है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इं.जयप्रकाश , अध्यक्ष राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ,उत्तर प्रदेश ने अपने ज्ञानवर्धक विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि -हिंदी को सिर्फ हिंदी दिवस तक ही नहीं सीमित करना चाहिए बल्कि इसे व्यापक स्तर तक प्रयोग करना चाहिए। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि रीना त्रिपाठी शिक्षिका एवं समाजसेविका ने अपने सरल और प्रभावी विचारों को व्यक्त करते हुए -महाविद्यालय की छात्राओं को शुद्ध हिंदी में लिखने और पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजू शुक्ला ने अपने प्रभावपूर्ण शब्दों में -हिंदी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार पर विचार व्यक्त किया।
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