संवाददाता सन्तोष उपाध्याय
लखनऊ: राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर 10 फरवरी को 01 से 19 साल के बच्चे, किशोर व युवा पेट के कीड़े मारने की दवा एलबेंडाजाल खाएंगे। स्वास्थ्य विभाग ने इस बार 10.36 करोड़ बच्चों को इस अभियान के तहत कवर करने का लक्ष्य रखा है। 10 फरवरी को वंचित रह जाने वाले बच्चों को 14 फरवरी को मापअप राउंड में दवा खिलाई जाएगी। प्रमुख सचिव-चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कार्यक्रम की सफलता एवं बेहतर समन्वय के लिए गुरुवार को समस्त सहयोगी विभागों के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर समस्त विद्यालयों एवं आगंनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
बैठक में मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, महानिदेशक-चिकित्सा स्वास्थ्य, महानिदेशक- परिवार कल्याण एवं राज्यस्तरीय कार्यक्रम अधिकारी मौजूद थे। अभियान का आयोजन समस्त 75 जनपदों में ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ नगरीय क्षेत्रों एवं सरकारी विद्यालयों के साथ प्राइवेट विद्यालयों में भी प्रमुखता से किया जाएगा। इस बार नगरीय क्षेत्रों के प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से विशेष रणनीति तैयार की गई है। नगरीय क्षेत्र के निजी विद्यालयों की शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख प्राइवेट विद्यालयों (जिनमें छात्रों की संख्या न्यूनतम 1000 से अधिक हो) में स्वास्थ्य विभाग के मण्डलीय/जनपदीय अधिकारी/कर्मचारी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर दवा खिलवाएंगे।
इसी तरह पंचायती राज विभाग द्वारा ग्राम प्रधानों तथा राष्ट्रीय आजीविका मिशन द्वारा स्वयं सहायता समूहों, राष्ट्रीय सेवा सेवाएं, नेहरू युवा केन्द्र, एन.सी.सी एवं स्काउट गाइड, आवासीय कल्याण समिति, खाद्य एवं रसद विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के स्वयंसेवकों का सहयोग लाभार्थियों को एकत्रित करने में किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को कृमि मुक्त किया जा सके। उच्च शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों को आच्छादित करने के लिए एलबेंडाजाल की गोली उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रमुख सचिव ने बताया कि समस्त जनपदों के सभी ब्लाकों में नोडल अध्यापकों एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रशिक्षित किया गया है, ताकि कार्यक्रम सम्बन्धी दिशानिर्देशों का अनुपालन सुगमतापूर्वक किया जा सके।
प्रदेश में 1 से 19 वर्ष के बच्चों में पेट के कीड़ों की व्यापकता लगभग 76 प्रतिशत है। बच्चों में कृमि संक्रमण व्यक्तिगत अस्वच्छता तथा संक्रमित दूषित मिट्टी के सम्पर्क से होता है। कृमि संक्रमण से जहां बच्चों का एक ओर शारीरिक एवं बौद्धिक विकास बाधित होता है वहीं दूसरी ओर उनके पोषण एवं हीमोग्लोबिन स्तर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है तथा उनकी स्कूल उपस्थिति भी प्रभावित होती है।
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