रायपुर: कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय “स्क्रिप्ट लेखन एवं स्टोरीटेलिंग” कार्यशाला का बुधवार को समापन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कुलसचिव सुनील शर्मा ने कहा कि हर कहानी के पीछे एक सोच होती है, एक दृष्टिकोण और सबसे अहम – एक अनुभव। स्क्रिप्ट लेखन और स्टोरीटेलिंग न केवल विचारों को अभिव्यक्त करने का माध्यम हैं, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत विमर्श को भी एक दिशा प्रदान करते हैं। साथ ही कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की प्रशिक्षणात्मक गतिविधियाँ विद्यार्थियों के व्यावहारिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सदैव नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है।
कार्यशाला के तीसरे दिन दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। पहले तकनीकी सत्र में प्रसिद्ध रेडियो जॉकी अनीमेश शुक्ला ने विद्यार्थियों से संवाद करते हुए वॉयस मॉड्यूलेशन, नैरेशन, कंटेंट प्रेजेंटेशन और ऑडियो स्टोरीटेलिंग की बारीकियों को साझा किया। उन्होंने रेडियो और डिजिटल माध्यमों में कहानी कहने की बदलती तकनीकों पर व्यावहारिक ज्ञान के साथ चर्चा की।
दूसरे सत्र में पटकथा लेखन के विशेषज्ञ राजकुमार दास ने स्क्रिप्ट लेखन की रचनात्मक प्रक्रिया, पात्र निर्माण, संवाद शैली और प्रस्तुति कौशल पर गहन मार्गदर्शन दिया। उन्होंने विद्यार्थियों सिखाया की कैसे एक स्क्रिप्ट स्क्रीन पर दृश्य का रूप लेती है।
कार्यशाला के समापन सत्र में प्रेरक विचार और मार्गदर्शन में समाज कार्य और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नृपेंद्र शर्मा ने विशेषज्ञ टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए कहा कि कहानी कहने की कला में सबसे जरूरी है अपनी जड़ों और अनुभवों से जुड़े रहना। उन्होंने विद्यार्थियों को स्थानीय कहानियों और सामाजिक सरोकारों से प्रेरणा लेने की सलाह दी।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष पंकज नयन पांडेय, विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आशुतोष मंडावी, शोधार्थी, अतिथि व्याख्याता एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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