लखनऊ/ संवाददाता - संतोष उपाध्याय लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 22 मेडिकल कालेजों में सोमवार से हॉस्पिटल मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम का शुभारंभ हो गया है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और राज्यमंत्री मयंकेश्वर सिंह ने HMIS प्रणाली की शुरूआत की। इससे प्रदेश के चिकित्सा संस्थाओं और मेडिकल कॉलेजों को जोड़ा गया है। बृजेश पाठक उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ई-सुश्रुत एचएमआईएस साफ्टवेयर से रोगी अपने एण्ड्रायड फोन के प्लेस्टोर से डाउनलोड कर सकेंगे. सॉफ्टवेयर के माध्यम से पंजीकरण करके काउंटरपर होने वाली असुविधा से रोगी बचेंगे। अस्पताल में किस दिन कौन से डाक्टरों की उपलब्धता होगी ये भी सॉफ्टवेयर बताएगा। इसमें ये भी तय होगा कि मरीज को किस वार्ड, डॉक्टर, बेड औऱ आइसीयू बेड भी ऑनलाइन बुक होंगे।रोगियों शुल्क का भुगतान ऑनलाइन किसी भी माध्यम जैसे यूपीआई, नेट बैंकिंग से कर सकेंगे। वर्तमान में प्रदेश में 12 राजकीय मेडिकल काॅलेजों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों में व्यवस्था शुरू की जाएगी। गोरखपुर, झांसी, कानपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, केजीएमयू लखनऊ, यूपीयूएमएस सैफई, जिम्स ग्रेटर नोएडा, आरएमएल लखनऊ, एसजीपीजीआई लखनऊ, मिर्जापुर में हॉस्पिटल मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम की व्यवस्था है। इस सिस्टस के जरिए मरीज की सारी जानकारी ई-सुश्रुत HMIS साफ्टवेयर से ऑनलाइन डॉक्टर के कंप्यूटर तक पहुंचेगी। ई-सुश्रुत HMIS सॉफ्टवेयर से रोगी पंजीकरण, भर्ती, डिस्चार्ज, एम्बुलेंस, खाना, दवाइयां, चिकित्सकों का विवरण ऑनलाइन उपलब्ध होगा। जांच रिपोर्ट को डॉक्टर अपने कंप्यूटर पर देख सकेंगे। इस सॉफ्टवेयर से रोगियों के उपचार सम्बन्धी सभी कार्य में पारदर्शिता होगी। यह सॉफ्टवेयर अस्पताल में डाक्टरों की उपलब्धता भी बताएगा। HMIS प्रणाली से प्रदेश के राजकीय मेडिकल कालेजों, राजकीय संस्थानों, स्वायत्तशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में पेपरलेस व्यवस्था को लागू किया जा सकेगा। सॉफ्टवेयर से पंजीकरण कर रोगी काउण्टर पर होने वाली असुविधा से बचेंगे। पहले चरण में गोरखपुर, झांसी, कानपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ ,KGMU लखनऊ, यूपीयूएमएस सैफई, जिम्स ग्रेटर नोएडा, आरएमएल लखनऊ, SGPGI लखनऊ, मिर्जापुर में हॉस्पिटल मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम की व्यवस्था लागू की गई है। इसके बाद प्रदेश के 36 कॉलेजों को भी HMIS की व्यवस्था से जोड़ा जाएगा। मरीजों को एक यूनीक आईडी नंबर मिलेगा। HMIS प्रणाली के लागू होने से जहां एक तरफ अस्पतालों के प्रबंधन, नेटवर्क, नेतृत्व, कार्यप्रणाली और प्रशासन में सुधार होगा, वहीं दूसरी तरफ मरीजों को एक यूनीक आईडी नंबर मिलेगा। जिससे मरीज से जुड़ी सारी जानकारी अस्पताल में दर्ज होगी। रोगियों की केस हिस्ट्री और जानकारी अस्पताल में पहले से दर्ज होगी। इस वजह से दोबारा अस्पताल आने वाले मरीजों को काफी राहत मिलेगी।
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