लखनऊ/ संवाददाता - संतोष उपाध्याय। लखनऊ। विश्व टीबी दिवस पर उप मुख्यमंत्री ने टीबी के खात्मे का आह्वाहन किया। टीबी को हराने के लिए समय पर बीमारी की पहचान जरूरी है। यह जन सहभागिता से मुमकिन है। टीबी के लक्षण और उसकी गंभीरता को जन-जन तक पहुंचाकर बीमारी को खत्म करने के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकते हैं। विश्व टीबी दिवस पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश से टीबी को खात्मा तय समय पर होगा। प्रधानमंत्री के निर्देशन में टीबी मुक्त भारत बनाना है। उन्होंने कहा कि टीबी के सफाए के लिए समय पर बीमारी की पहचान जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग इस काम को बखूबी निभा रहा है। मौजूदा समय में यूपी में करीब पांच लाख 23 हजार टीबी के मरीज हैं। करीब 8,000 गर्भवती महिलाओं में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं। एक अप्रैल 2018 से हर माह पंजीकृत टीबी मरीज के बैंक खाते में 500 रुपये भेजे जा रहे हैं। अब तक 16 लाख 18 हजार टीबी मरीजों के बैंक खाते में यह रकम भेजी जा चुकी है। कुल चार करोड़ 20 लाख का भुगतान किया जा चुका है। इसका मकसद मरीजों को इलाज के साथ पोषण उपलब्ध कराना है। टीबी के बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए मरीजों को सही पोषण उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है। 2500 केंद्रों में जांच-इलाज हुआ। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी में मरीजों की सुविधाओं के लिए 2500 केंद्रों टीबी जांच व इलाज की सुविधा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर मेडिकल संस्थान तक शामिल हैं। सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच मुफ्त हो रही है। टीबी की सटीक जांच के लिए 150 सीबी नॉट मशीनें स्थापित की गई हैं। 448 ट्रूनॉट मशीन भी लगाई गई हैं। अहम बिन्दु में 19800 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में निक्षय दिवस मनाया जाता है। टीबी को हरा चुके लोगों को जागरूकता फैलाने के अभियान में लगाया गया है। इन्हें टीबी चैम्पियन का नाम दिया गया है। टीबी के लक्षण में दो हफ्ते से अधिक समय तक खांसी आना, शाम के समय बुखार आना सीने में दर्द होना, कमजोरी व थकान लगना, बलगम में खून आना, रात में पसीना आना, लगातार वजन का घटना।
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