रायपुर RAIPUR: कोलंबिया कॉलेज में “नेविगेटिंग जेनरेशनल गैप्स: स्ट्रेंग्थेनिंग दी पैरेंट - चाइल्ड रिलेशनशिप" विषय पर नेशनल वेबिनार का आयोजन किया गया। इस नेशनल वेबीनार के मुख्य अतिथि के रूप में पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी रायपुर के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला उपस्थित रहे एवं मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. जे .सी. अजवानी (इंटरनेशनल काउंसलर एवं फार्मर हेड डिपार्टमेंट ऑफ़ साइकोलॉजी, गवर्नमेंट एंड कॉमर्स गर्ल्स कॉलेज, देवेंद्र नगर रायपुर), एवं डॉ. दीप्ति आचार्य (सहायक प्राध्यापक, डिपार्टमेंट ऑफ़ पोलिटिकल साइंस, महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी बड़ोदा, वडोदरा गुजरात) विशेष रूप से उपस्थित हुए।
युवा प्रतिनिधि के रूप में मिस्टर प्रवीण वर्मा (छात्र अध्यापक, कोलंबिया कॉलेज) एवं अस्मिता भारद्वाज (स्टूडेंट, महाराजा सयाजीराव युनिवर्सिटी ऑफ़ बरोदा) उपस्थित रहे। जनप्रगति एजुकेशन सोसाइटी के सचिव हरजीत सिंह हुरा विशेष रूप से उपस्थित रहे।
नेशनल वेबीनार का सफलतापूर्वक आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार दुबे एवं उप प्राचार्या डॉ. आभा दुबे के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। जेनेरशन गैप विषय पर आधारित वेबीनार में सभी वक्ताओं ने विषय से संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण बातें साझा की। जिससे निश्चित ही पेरेंट्स एवं बच्चों के बीच वैचारिक मतभेद के कारण बढ़ने वाली दूरियां को कम करने में एवं एक अच्छा एवं स्वस्थ संबंध बनाने में सहायक होगा।
हरजीत सिंह हूरा ने मुख्य अतिथि एवं सभी वक्ताओं का स्वागत एवं अभिनंदन किया। एवं साथ ही इतने शानदार विषय पर वेबीनार आयोजित करने के लिए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अरुण कुमार दुबे को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
वेबीनार के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के विषयों पर चर्चा करने की आज महती आवश्यकता है। इस तरह के विषयों पर सेमिनार, वर्कशॉप बृहद रूप में होना चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों को समझने की बेहद आवश्यकता है, बच्चे क्या कर रहे हैं, मोबाइल और अन्य माध्यमो से क्या देख रहे हैं, किस तरह का साहित्य पढ़ रहे हैं, इन सभी बातों पर माता-पिता को मॉनिटर करने की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता जे. सी. अजवानी ने बताया कि बच्चे वह नहीं सीखते हैं जो आप उन्हें सिखाते हैं, बल्कि बच्चा वह सीखता है जो वह अपने बड़ों को करते हुए देखता है। अतः बच्चों के सामने वैसा ही व्यवहार करें जो आप उन्हें सीखाना चाहते हैं।
मुख्य वक्ता डॉ दीप्ति आचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि पीढ़ियों का अंतराल तो कभी कम नहीं हो सकता, क्योंकि उनके अनुभव और हमारे अनुभव में हमेशा अंतर रहेगा, लेकिन बच्चों के कुछ अलग करने या उनकी अलग सोच को स्वीकार करने की जरूरत है, अगर बच्चा कुछ अच्छा करता है तो न सिर्फ उसकी सराहना करें बल्कि उसे सेलिब्रेट भी करें, और अगर कुछ गलत देखे तो पहले प्यार से समझाएं और उसकी कमियों या गलतियो को दूर करने में उसकी मदद करें।
नेशनल वेबीनार में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया जिसमें न सिर्फ छत्तीसगढ़ से बल्कि अन्य राज्यों जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू कश्मीर एवम् कर्नाटक आदि से लगभग 600+ प्रतिभागियों ने पंजीयन करवाया था। अंत में प्रतिभागियों के मन में उठी जिज्ञासाओं एवं सवालों का समाधान भी मुख्य वक्ता एवं की नोट स्पीकर के द्वारा किया गया।
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