भोपाल Bhopal, MP: शिक्षा ही सम्पूर्ण समाज के लिए समाधान और सदमार्ग प्रशस्त करती है। हमारे देश की परम्परा एवं मान्यता में शिक्षा का सर्वोच्च स्थान है। समाधानरहित शिक्षा महत्वहीन है। श्रेष्ठ शिक्षा का मूल ध्येय व्यक्तित्व का निर्माण और समग्र विकास है। विश्व का भारत के प्रति दृष्टिकोण बदला है और स्वत्व के भाव को जागृत कर देश अपनी परंपराओं और मान्यताओं के साथ समाज से जुड़े हर प्रश्नों के समाधान की ओर बढ़ रहा है। सामाजिक एवं व्यक्तिगत विकारों के समग्र उन्मूलन पर चिंतन मनन हो रहा है। मनोदैहिक विकारों को पहचानने और उनके निदान के सम्पूर्ण विचार मंथन को समाज में प्रसारित करने से आशाजनक परिणाम आएंगे। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने भोपाल के सरोजिनी नायडू शासकीय (स्वशासी) कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में "भारतीय संदर्भ में मनोदैहिक विकार एवं समग्र कल्याण" विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कही।
श्री परमार ने कहा कि ऐसी संगोष्ठियां समाज को दिशा देंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। सामाजिक सरोकार से जुड़ी इस सार्थक पहल के लिए मंत्री श्री परमार ने शुभकामनाएं एवं बधाई दी।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शैलबाला सिंह बघेल ने महाविद्यालयीन परिदृश्यों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर जनभागीदारी समिति अध्यक्ष डॉ. भारती सातनकर, लखनऊ से पधारे मुख्य वक्ता डॉ. राकेश कुमार त्रिपाठी, विषय विशेषज्ञ डॉ. ज्ञानेश कुमार तिवारी, कार्यक्रम संयोजक संतोष रलावनिया, डॉ. माधवी लता दुबे सहित विभिन्न प्राध्यापक एवं छात्राएं उपस्थित थीं। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन सह-संयोजिका डॉ. सीमा पाठक ने किया।
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