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15 February 2025   Admin Desk



UP: जापानी प्रतिनिधिमंडल ने ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में सहयोग का दिया आश्वासन

संवाददाता सन्तोष उपाध्याय

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, तकनीकी विकास, सेन्टर आफ एक्सीलेंस व आपूर्ति के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग, निवेश प्रोत्साहन, अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति तथा आपसी समन्वय के लिए 23 दिसम्बर 2024 को उ.प्र. सरकार तथा यामानाशी प्रीफेक्चर, जापान के बीच समझौता ज्ञापन हुआ था। इस समझौते ज्ञापन के तहत ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा तथा जापान के यामानाशी प्रीफेक्चर (प्रांत) के उप गवर्नर श्री को ओसादा की मौजूदगी में गुरुवार को लखनऊ के ताज होटल में चर्चा बैठक आयोजित की गयी।

इस दौरान अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के अपर मुख्य सचिव नरेंद्र भूषण, एमडी यूपीपीसीएल पंकज कुमार, एमडी यूपी नोएडा अनुपम शुक्ला, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर आईआईटी कॉलेज के प्रोफेसर तथा यामानाशी प्रीफेक्चर सरकार के सलाहकार मिव नीरेंद्र उपाध्याय तथा यामानाशी प्रीफेक्चर सरकार में अंतर्राष्ट्रीय रणनीति क्षेत्र के निदेशक कोईची फुरुया उपस्थित रहें। ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा और जापान के यामानाशी प्रीफेक्चर प्रांत के उप गवर्नर की अध्यक्षता में गुरुवार को लखनऊ के ताज होटल के मुलाकात कॉन्फ्रेंस हॉल में देर शाम जापान के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रदेश के ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी यूपीनेडा द्वारा उत्तर प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024 का प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया गया और अभी तक प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में किए गए कार्यों की जानकारी दी गई।

बैठक में ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री ए.के. शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत देश 2070 तक नेट जीरो इमीशन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ग्रीन एनर्जी एवं सौर ऊर्जा के उत्पादन, उपभोग व विपणन में बहुत तेजी से आगे कदम बढ़ा रहा है। उत्तर प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा व बायो फ्यूल के क्षेत्र में कार्य करने के लिए बहुत ही व्यापक क्षेत्र है और यहां की सरकार इसके लिए उत्सुक भी है। प्रदेश सरकार ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज को चुनौती मानते हुए हाइड्रोजन गैस और सोलर एनर्जी पर कार्य कर रही। उन्होंने जापानी प्रतिनिधिमंडल से ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करने की अपेक्षा व्यक्त की।

ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने कहा कि भारत और जापान के रिश्ते बहुत गहरे हैं, दोनों देश नई तकनीकी, अनुसंधान एवं विकास, मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर मिलकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं जापान की कार्य संस्कृति से अच्छी तरह से वाकिफ हूं और अनेकों बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जापान जाने का मौका मिला, इससे वहां के उद्योगपतियों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से मेरे स्वयं अच्छे संबंध भी बने हैं। जापान की एमएसएमई सेक्टर की मशहूर कंपनी और जेट्रो और बुटीक, इंडस्ट्रियल ऑर्गेनाइजेशन के साथ भी कार्य करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र बहुत ही व्यापक है और बहुत सी कंपनियां व स्टार्टअप इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए आगे आयी हैं। उन्होंने कहा कि जापान की सुजकी कंपनी यहां की स्थानीय ब्रांड मारुति के साथ सहयोग कर मारूति सुजुकी का उत्पादन गुजरात में प्रारम्भ किया था, जिसका परिणाम यह रहा की आज मारुति सुजुकी की स्थिति व गुणवत्ता इतनी अच्छी है की मारुति सुजुकी विश्व के अन्य देशों के साथ-साथ जापान को भी इस कार की आपूर्ति कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन नीति के तहत प्रति वर्ष 01 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य है। इसके तहत पंूजीगत सब्सिडी और भूमि प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी राजस्व भूमि 30 वर्षों के लिए 01 रूपया प्रति एकड़ प्रति वर्ष की लीज पर तथा निजी क्षेत्र की सरकारी राजस्व भूमि 30 वर्षों के लिए 15000 रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की लीज पर उपलब्ध कराई जा रही तथा स्टाम्प डयूटी में शत प्रतिशत की छूट दी जा रही है, इसी प्रकार प्रदेश की भौगोलिक क्षेत्र और परियोजना लागत के अनुरूप 10 से 30 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। वहीं सुपर मेगा और अल्ट्रा मेगा श्रेणी की कम्पनियों को 35-40 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। ए.के. शर्मा ने कहा कि आपसी विश्वास, लोकतांत्रिक मूल्यों के आदान प्रदान एवं औद्योगिक व व्यापारिक कार्य संस्कृति में सहयोग करने से दोनों देशों को काफी लाभ होगा। उन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में कार्य करने वाली जापान की यामानाशी हाइड्रोजन कंपनी को प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया। इससे प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन, भंडारण, विपणन व ट्रासपोर्टेशन व आपूर्ति के क्षेत्र में कार्य करने का मौका मिलेगा और वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाइड्रोजन के सप्लाई चेन से मुकाबला करने व आगे बढ़ने का भी अवसर मिलेगा। इससे उ.प्र. ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का उत्पादक भी बन सकेगा। उन्हांेने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में उपयोगी इलेक्ट्रोलाइजर्स का प्रदेश मंे उत्पादन के लिए भी चर्चा की गयी और जापानी प्रतिनिधिमंडल ने सहयोग की बात की। उन्होंने कहा कि जापान के सहयोग से प्रदेश के आईआईटी संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास व नवाचार के लिए उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये जायेगे। जिसमें सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को अधिकतम 50 करोड़ रूपये तक का वित्तीय प्रोत्साहन मिलेगा। ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया उत्पादन या उपयोग करने वाले स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा। प्रत्येक स्टार्टअप को 25 लाख रूपये प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता मिलेगी। इसमें अधिकतम 03 इनक्यूबेटर्स को बढ़ावा के साथ प्रत्येक इनक्यूबेटर में अधिकतम 10 स्टार्टअप्स की सुविधा मिलेगी।

जापान की यामानाशी हाइड्रोजन कंपनी ने 12 फरवरी को अपर मुख्य सचिव वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत नरेन्द्र भूषण के साथ बैठक की। जिसमें जानकारी मिली कि यामानाशी हाइड्रोजन कंपनी जापान की पहली पावर-टू-गैस कंपनी है। यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन, आपूर्ति, बिक्री और सेवाएं प्रदान करती है। इसकी एक प्रमुख उपलब्धि  05 मेगावाट का पैकेजिंग मॉडल स्थापित किया गया, जिसका उपयोग कंक्रीट पैनलों की हीट क्योरिंग और टायरों के सल्फराइजेशन प्रक्रिया में किया गया। भारत में हरियाणा में भी न्यू एनर्जी एंड इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन, जापान और जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय के सहयोग से इसकी उत्पाद क्षमता का अध्ययन किया गया।

हालांकि, हरियाणा में जापान से पूंजीगत व्यय की उच्च दर और संचालन व्यय के लिए कोई समर्थन न होने के कारण समस्या उत्पन्न हुई। इस कंपनी के उ.प्र. में आने से ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में व्यावसायिक अवसर मिलेगे, शैक्षणिक संस्थानों में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना होगी, भारतीय कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी मिलेगी और मेगावाट-स्तर पर इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण होगा। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि जापान की ग्रीन हाइड्रोजन कंपनी के उ.प्र. आने के लिए जापानी डेलीगेशन का धन्यवाद किया और आश्वासन दिया कि ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के अधिकारी इसमें पूरा सहयोग करेंगे। जापान के यामानाशी प्रीफेक्चर (प्रांत) के उप गवर्नर श्री को ओसादा ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन व ग्रीन एनर्जी व अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में सहयोग से भारत और जापान के रिश्तों को मजबूती मिलेगी। ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र की विशेषज्ञ कम्पनियां प्रदेश में आकर निवेश करेगी। उ.प्र. और जापान दोनो मिलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सप्लाई चेन को बदल सकते हैं।



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