बिलासपुर: गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में 18 दिसंबर 2022 को सुबह 10 बजे से गुरु घासीदास जयंती समारोह एवं कुल उत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अति विशिष्ट अतिथि प्रो. नीलांबरी दवे, पूर्व कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट गुजरात रहीं। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में गोरेलाल बर्मन प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीतकार, लेखक, संगीतकार, लोकगायक, श्रीमती ऊषा बारले, प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी लोक गायिका एवं एनएसएस के मप्र-छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय निदेशक ए.एस. कबीर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की। अन्य मंचस्थ अतिथियों में कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव व अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. एम.एन. त्रिपाठी शामिल रहे।
इससे पूर्व सुबह 9 बजे अतिथियों ने गुरु घासीदास जयंती समारोह एवं कुल उत्सव के पुनीत एवं पावन अवसर पर संत गुरु घासीदास जी की प्रतिमा स्थल पर पुष्प अर्पित किये। अतिथियों ने शांति के प्रतीक रूप में श्वेत गुब्बारे आसमान में छोड़े। प्रतिमा स्थल पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के नृत्य समूहों ने पंथी नृत्य का मनमोहक प्रदर्शन किया और लोक कलाकारों के पंथी नृत्य के साथ शोभायात्रा रजत जयंती सभागार पहुंची।
विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने सभागार में उपस्थित सभी को बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती की बधाई और शुभकामनाएं प्रदान कीं। उन्होंने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यलाय निरंतर सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति के साथ आगे बढ़ है जो आने वाले समय में अकादमिक जगत में सूर्य की तहर दमकेगा।
कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि यदि हमें विश्व गुरु बनना है तो बाबा जी के उपदेशों को आत्मसात करना होगा तथा समानता का भाव पैदा करना होगा। बाबा जी के द्वारा दिये संदेश और मानव एकात्मवाद का विचार में मानवता प्रमुख है।
कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी मूल्य आधारित शिक्षा और व्यक्तित्व विकास पर बल देती है जिसको संपूर्ण स्वरूप में विश्वविद्यालय में क्रियान्वित किया जा रहा है। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि एनएसएस के साथ ही केन्द्रीय विश्वविद्यालय में एनसीसी की थल यूनिट भी कार्यरत है जल्दी ही दो और यूनिट जल और नभ स्थापित होंगी जिससे विद्यार्थियों को एनसीसी के प्रशिक्षण का भी लाभ मिलेगा।
विशिष्ट अतिथि प्रो. नीलांबरी दवे, पूर्व कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट गुजरात ने मनखे-मनखे एक समान की भावना को व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी में एक ही परम तत्व विद्यमान है। हम सभी को अलग-अलग भूमिकाओं को निर्वाहन के लिए यहां भेजा गया है। हमें पूर्ण समर्पण के साथ अपनी भूमिका का निर्वाहन करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि एनएसएस के मप्र-छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय निदेशक श्री ए.एस. कबीर ने दोनों संस्थानों के बीच हो रहे एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय में आयोजित प्री-आरडीसी शिविर से दो विद्यार्थियों का चयन दिल्ली मे आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने के लिए हुआ है। यह हम सभी के लिए गौरव का क्षण है।
विशिष्ट अतिथि श्री गोरेलाल बर्मन छत्तीसगढ़ी गीतकार, लेखक, संगीतकार एवं लोकगायक ने कहा कि बाबा जी के सिद्धांतों के अनुरुप समानता के भाव के साथ सत्य का आचरण करना चाहिए।
प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी लोक गायिका एवं कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती ऊषा बारले ने सादगीपूर्ण तरीके से बाबा जी की जयंती पर उनके सदगुणों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की बात कही। इस अवसर पर उन्होंने छत्तीसगढ़ लोकगीत की मनमोहक प्रस्तुति भी दी।
कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के कला एवं भाषा के स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों को बाबा गुरु घासीदास जी के जीवन दर्शन से जुड़ी विषयवस्तु को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाये जाने की बात कही।
गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर एवं भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रीय निदेशालय एनएसएस भोपाल के मध्य समझौता ज्ञापन हुआ। एमओयू पर कुलपति महोदय की उपस्थिति में कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव एवं क्षेत्रीय निदेशालय एनएसएस भोपाल की ओर से श्री ए.एस. कबीर क्षेत्रीय निदेशक द्वारा हस्ताक्षर किये गये। इस एमओयू के तहत छात्रों के सर्वांगीण विकास के साथ क्षेत्रीय निदेशालय की ओर से ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी तथा प्रशासनिक सहयोग प्रदान किया जाएगा।
कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती एवं कुल उत्सव के अवसर पर विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ एवं सिम्स बिलासपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रक्तदान शिविर का फीता काटकर शुभारंभ किया। रक्तदान शिविर में लगभग 150 यूनिट रक्तदान हुआ।
मंचस्थ अतिथियों ने गुरु घासीदास जयंती के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। साथ ही 2019, 2020 तथा 2021 के श्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार एवं श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार प्रदान किये गये। इस अवसर पर सतनामी पंथ के धर्मावंलबियों डॉ. रामायण प्रसाद टंडन, डॉ. आई.आर. सोनवानी, श्रीमती पार्वती दीदी, श्री रामजी गायकवाड़, श्रीमती खेलन मस्तुरहिन एवं श्री महेतरू मधुकर का सम्मान किया गया साथ ही यूनिसेफ से जुड़ी श्रीमती रीमा गांगुली का भी सम्मान किया गया।
इससे पूर्व रजत जयंती सभागार में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर मां सरस्वती एवं संत गुरू घासीदास बाबा की प्रतिमा पर पुष्पअर्पित किया गया। इस दौरान तरंग बैंड ने सरस्वती वंदना व कुलगीत की मोहक प्रस्तुति दी। तत्पश्चात नन्हें पौधे से मंचस्थ अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत उद्बोधन कार्यक्रम के संजोयक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. एम.एन. त्रिपाठी ने दिया। डॉ. टी.आर. रात्रे सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र विभाग ने संत गुरु घासीदास बाबा के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर अतिथियों को सम्मानित किया गया। समारोह का प्रसारण ब्लेंडेड मोड (ऑनलाइन-यूट्यूब लाइव) में हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा तिवारी, सहायक प्राध्यापक वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विभाग एवं धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव ने किया। गुरु घासीदास जयंती एवं कुल उत्सव समारोह में अनेक गणमान्य नागरिक, पंथ के धर्मावंलबी, विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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