लखनऊ/ संवाददाता - संतोष उपाध्याय लखनऊ: प्रदेश उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने दिन सोमवार को काकोरी स्थिति शहीद स्मारक स्थल पर अमर शहीदों के बलिदान दिवस के समापन समारोह में बोलते हुए कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बन्धित अनेक ऐतिहासिक घटनाओं में काकोरी घटना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ने आजादी के दीवानों को युवा पीढ़ी में जागरूकता व भारत की आजादी व स्वतंत्रता आन्दोलन के महत्व को जानने हेतु अमृत महोत्सव का आयोजन विगत् एक वर्षों से मनाने व आगे भी स्कूलों, कालेजों व सरकारी दफ्तरों के माध्यम से विविध कार्यक्रमों का आयोजन व प्रतियोगिताये सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कराये जा रहे है ताकि आज की युवा पीढ़ी में आजादी के प्रति जागरूक किया जा सके। उन्होंने कहा कि हमारे शहीदों में व हमारे पूर्वजों ने अपने जीवन की परवाह न करते हुए आजादी के दिवानों ने अपने प्राणों को बलिदान कर दिया। अंग्रजों से मुक्ति दिलाने हेतु उन्होंने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने को बलिदान किया आज हम सब मिलकर काकोरी के शहीदों के बलिदानों का उदघोष प्रतियोगिओं के माध्यम से किया जाये। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आज देश आगे बढ़ रहा है चाहे व कृषि क्षेत्र, दृग्ध उत्पादन, चीनी उद्योग, एक जपनद एक उत्पाद तथा कम्प्यूटर, टेक्नालोजी नम्बर वन पर है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में आये हुये शहीदों के परिजनों का आभार प्रगट करता हूं की उनके पूर्वजों के कारण आज देशआजाद हुआ है और विकास की ओर अग्रसर है। इस अवसर पर पांच स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। उन्होंने इस अवसर पर क्रांतिकारियों से सम्बन्धित लगायी गई प्रर्दशनी का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी लखनऊ सूर्यपाल गंगवार ने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बन्धित अनेक ऐतिहासिक घटनाओं में काकोरी की घटना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। 04 फरवरी 1922 में चौरी-चौरा काण्ड के बाद गाँधीजी द्वारा 11 फरवरी 1922 को बारदौली में असहयोग आन्दोलन को स्थगित करने की घोषणा की गयी। यह निर्णय कान्तिकारी आन्दोलन को पुनः जीवित करने में एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। आजादी के दीवाने कान्तिकारी नवयुवक भारतमाता को स्वतंत्र कराने के लिए कटिबद्ध थे। उद्देश्य की पूर्ति हेतु अश्फाक उल्ला खाँ, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, पं. रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, चन्द्रशेखर आजाद आदि कान्तिकारी युवकों ने एक अखिल भारतीय सम्मेलन के बाद अक्टूबर, 1924 में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की। इसका उद्देश्य सशस्त्र कान्ति के माध्यम से औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेकना और एक संघीय गणतंत्र संयुक्त राज्य भारत की स्थापना करना था। संघर्ष प्रारम्भ करने से पूर्व आवश्यक था व्यापक प्रचार कार्य, नौजवानों को अपने दल में सम्मिलित करना, उन्हें प्रशिक्षित करना एवं हथियारों को एकत्र करना। इसके लिए धन की आवश्यकता थी। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु इन कान्तिकारियों ने सरकारी खजाने को लूटने का निश्चय किया। निरंकुश ब्रिटिश सत्ता को चेतावनी देने एवं धन एकत्र करने के निमित्त पहली बड़ी कार्यवाही काकोरी में की गयी। सरकारी खजाना लूटने की यह घटना काकोरी काण्ड के नाम से प्रसिद्ध है। 09 अगस्त 1925 को काकोरी के निकट 8-डाउन ट्रेन को रोक कर रेल विभाग का रू0 4679-1-6 राशि का खजाना लूटा गया। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी। प्रतिक्रियास्वरूप ब्रिटिश सरकार ने व्यापक स्तर पर गिरफ्तारियाँ की तथा प्रारम्भिक जाँच के उपरान्त कान्तिकारियों पर मुकदमा चलाया गया। इन पर ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध युद्ध की घोषणा करने, राजनैतिक षडयन्त्र रचने, डकैती और हत्या आदि के आरोप लगाये गये। गंगवार ने कहा कि जेल में क्रांतिकारियों ने खराब खाना मिलने एवं राजनैतिक बन्दी की श्रेणी प्रदान किये जाने को लेकर 16 दिन का अनशन किया। बाध्य होकर ब्रिटिश सरकार ने इनकी अनेक माँगों को स्वीकार कर लिया। इन क्रांतिकारियों पर सेशन जज हैमिल्टन की अदालत में मुकदमा चलाया गया इनकी पैरवी के लिए एक समिति भी बनायी गयी, जिसमें पं. मोतीलाल नेहरू, पं. जवाहर लाल नेहरू, पं. गोविन्द बल्लभ पंत, बी. के चौधरी, सी. बी. गुप्त, मोहन लाल सक्सेना आदि वकील थे। सेशन जज हैमिल्टन ने 6 अप्रैल, 1927 को पं० राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी और रोशन सिंह को फाँसी, शचीन्द्र नाथ सान्याल को आजीवन कालापानी, मन्मथनाथ गुप्त को 14 वर्ष, जोगेश चन्द्र चटर्जी, मुकुन्दी लाल, गोविन्द चरण, राजकुमार सिन्हा, रामकृष्ण खत्री को 10 वर्ष, विष्णु शरद दुबलिश, सुरेश चन्द्र भट्टाचार्य को 7 वर्ष, भुपेन्द्र नाथ सान्याल, रामदुलारे त्रिवेदी, प्रेम कृष्ण खन्ना, बनवारी लाल, प्रणवेश कुमार चटर्जी और रामनाथ पाण्डे को 5 वर्ष कैद की सजा सुनायी। पूरक मुकद्दमें में अशफाक उल्ला खाँ को फांसी एवं शचीन्द्रनाथ बख्शी को आजीवन कारावास की सजा हुयी । चन्द्रशेखर आजाद को ब्रिटिश जीवित गिरफ्तार नही कर सकी। 27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में ब्रिटिश पुलिस के साथ सशस्त्र संघर्ष में चन्द्रशेखर आजाद को वीरगति प्राप्त हुयी। इस घटना के अमर शहीदों को आज ही के दिन अंग्रेजों द्वारा फांसी दी गयी थी। उनकी याद में प्रतिवर्ष काकोरी शहीद स्मारक पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । इसी श्रृंखला में इस वर्ष 15 दिसम्बर 2022 से छात्र-छात्राओं के मध्य विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें कई विद्यालयों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। सोमवार को काकोरी शहीदों को याद करते हुए मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। मेयर संयुक्ता भाटिया ने कार्यक्रम में आये हुये गणमान्य व्यक्तियों के प्रति आभार प्रगट किया। कार्यक्रम में विधायक आशुतोष टण्डन, विधायक जयदेवी, विधायक नीरज बोरा, विधायक मोहनलालगंज अमरेन्द्र, एम.एल.सी. राम चन्द्र प्रधान, मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल सहित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजन, स्कूली बच्चे, भारी संख्या में जनमान्य व्यक्ति व अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
© Bharatiya Digital News. All Rights Reserved. Developed by TechnoDeva