लखनऊ/संवाददाता - संतोष उपाध्याय। नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर है। अब राज्य में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव की राह की सारी अड़चनें दूर हो गई हैं। राज्य सरकार ने नगर निकायों में आरक्षण व्यवस्था निर्धारित करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था। आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है। राज्य सरकार उसके आधार पर आरक्षण व्यवस्था लागू करना चाहती है। इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाकर अगले दो दिनों में निकाय चुनाव का नोटिफिकेशन जारी करने की अनुमति उत्तर प्रदेश सरकार को दे दी है। अगर निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश दो दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर देता है तो उसके बाद चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने में 15 दिन से एक महीने का समय लग सकता है। ऐसे में अप्रैल के अंत में या मई की शुरुआत में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्षों और सदस्यों का चुनाव कराया जा सकता है। SC ने OBC आरक्षण के साथ यूपी निकाय चुनाव कराने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने OBC आयोग की रिपोर्ट स्वीकार की है। ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर सवाल तो कई पक्षों ने पहले उठाए थे, लेकिन शीर्ष अदालत बिना किसी लाग लपेट के स्वीकृति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले जनवरी में बिना ट्रिपल टेस्ट के ओबीसी आरक्षण के साथ निकाय चुनाव कराने की इजाजत नहीं दी थी और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। हालांकि, यूपी सरकार ने पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के अनुसार ही ओबीसी आयोग गठित कर दिया था। ओबीसी कमीशन ने ढाई महीने में ही अपनी रिपोर्ट ट्रिपल टेस्ट के आधार पर दे दी। आपको बता दें कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने प्रदेश के सभी 75 जिलों का दौरा किया था। वहां पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की जानकारी हासिल की थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना था कि पिछले तीन-चार दशकों से तमाम नगर निकायों में चक्रानुक्रम आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा था। रैपिड टेस्ट की प्रक्रिया को भी सही नहीं माना गया।
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