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13 September 2025   bharatiya digital news Admin Desk



बालको मेडिकल सेंटर ने कार्ट-टी सेल थेरेपी से कैंसर उपचार को दी नई दिशा

रायपुर: मध्य भारत में कैंसर उपचार के क्षेत्र में अग्रणी बालको मेडिकल सेंटर (बीएमसी) ने अपने वार्षिक ‘छत्तीसगढ़ कैंसर कॉन्क्लेव’ के तीसरे संस्करण से पहले कार्ट-टी सेल और थेरेप्यूटिक अफेरेसिस पर एक विशिष्ट एवं उन्नत कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक हेमेटोलॉजिस्ट्स, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विशेषज्ञ, ब्लड ट्रांसफ्यूजन ऑफिसर्स, तकनीकी विशेषज्ञ और पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थी शामिल हुए। कार्यशाला से इस क्षेत्र में प्रिसिजन मेडिसिन और सेल-बेस्ड थेरेपी के नए मानक स्थापित हुए।

कार्यशाला का नेतृत्व डॉ. नीलेश जैन (सीनियर कंसल्टेंट एवं हेड, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एवं ब्लड सेंटर) और डॉ. दिब्येंदु डे (सीनियर कंसल्टेंट, हेमेटोलॉजी, हेमेटो-ऑन्कोलॉजी एवं बीएमटी, बीएमसी) ने किया। यह कार्यक्रम डॉ. राजेश देशपांडे, सीनियर मैनेजर, मेडिकल अफेयर्स एवं क्लिनिकल एप्लीकेशन, फ्रेसीनियस काबी मेडटेक (एशिया पैसिफिक एवं इंटरनेशनल रीजन) के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। प्रतिभागियों को कार्ट-टी सेल अफेरेसिस, थेरेप्यूटिक अफेरेसिस, हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल कलेक्शन और साइटाफेरेसिस की गहन जानकारी और व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।

सत्र का उद्घाटन करते हुए वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन (बालको मेडिकल सेंटर) की चिकित्सा निदेशक डॉ. भावना सिरोही ने कहा कि बीएमसी, कार्ट-टी जैसी आधुनिक सेल थेरेपी अपनाकर कैंसर इलाज को और बेहतर और युवा डॉक्टरों को सीखने का मौका दे रहा है। यह नवाचार कैंसर मरीजों के लिए आशा की किरण है। हमारा लक्ष्य है कि बीएमसी को सेल और जीन थेरेपी का प्रमुख केंद्र बनाया जाए, ताकि भारत में कैंसर उपचार को नई दिशा मिले।

कार्ट-टी सेल थेरेपी, एक उन्नत इम्यूनोथेरेपी है, जिसमें मरीज के रक्त से टी-सेल्स निकालकर उन्हें जेनेटिक रूप से इस प्रकार तैयार किया जाता है कि वे कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर उनसे लड़ सकें। इसका उपयोग जटिल कैंसर, ऑटोइम्यून बीमारियों और रक्त संबंधी विकारों के उपचार में किया जाता है।

डॉ. नीलेश जैन ने कहा कि कार्ट-टी सेल थेरेपी कैंसर इलाज में एक नए युग की शुरुआत है। इसमें अफेरेसिस अहम प्रक्रिया है, जिसके ज़रिए शरीर की इम्यून कोशिकाओं को अलग कर विशेष तरीके से तैयार किया जाता है, ताकि वे मरीज को बिल्कुल सही और व्यक्तिगत इलाज दे सकें।

डॉ. दिब्येंदु डे ने जोड़ा कि हेमेटो-ऑन्कोलॉजी तेज़ी से प्रगति कर रही है और यह कार्यशाला ज्ञान साझा करने और वैश्विक विशेषज्ञों से सीखने का एक अवसर है, जो भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को और मज़बूत करेगा।

कार्यशाला में मरीज चयन, प्रोटोकॉल्स और पोस्ट-थेरेपी मॉनिटरिंग पर केस-आधारित चर्चाएँ और इंटरैक्टिव सत्र भी आयोजित किये गए। इसने बीएमसी की इस प्रतिबद्धता को और मज़बूत किया कि वह चिकित्सा पेशेवरों को ऐसी उन्नत क्षमताएँ और इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराता रहेगा, जो परिवर्तनकारी उपचार देने के लिए आवश्यक हैं।

वार्षिक ‘छत्तीसगढ़ कैंसर कॉन्क्लेव’ के तीसरे संस्करण का आयोजन 19 से 21 सितम्बर 2025 को नया रायपुर स्थित मयफेयर लेक रिज़ॉर्ट में होगा। इस वर्ष का थीम ‘ड्राइविंग कॉमन सेंस ऑन्कोलॉजी’ है जिसमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, जेनिटोयूरिनरी और लंग कैंसर के मल्टी-डिसिप्लिनरी मैनेजमेंट पर भी विशेष सत्र होंगे। इसमें 10 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और 200 राष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल होंगे। कॉन्क्लेव में पहली बार कई विशेष वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी जिनमें लाइव सर्जिकल डेमोंस्ट्रेशन, मिनी-अकॉर्ड रिसर्च वर्कशॉप, एसबीआरटी कंटूरिंग ट्रेनिंग तथा जीवन की अंतिम अवस्था में मरीज और परिजनों से संवाद स्किल्स पर सत्र शामिल हैं। इसके साथ ही वीमेन फॉर ऑन्कोलॉजी नेटवर्क मीटिंग और कैंसर प्रिवेंशन वर्कशॉप भी आयोजित होगी। कॉन्क्लेव का रजिस्ट्रेशन अब शुरू हो चुका है। इच्छुक प्रतिभागी बालको मेडिकल सेंटर की आधिकारिक वेबसाइट www.balcomedicalcentre.com पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं।



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