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31 May 2023   Admin Desk



CG News: तंबाकू निषेध दिवस पर संजीवनी, रोटरीनॉर्थ, महाराष्ट्र मंडल, वाईएमएस यूथ फाउंडेशन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम

रायपुर Raipur: हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर, संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन, रोटरीक्लब रायपुर नॉर्थ, महाराष्ट्र मण्डळ रायपुर, एवं वायएमएस यूथ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के डायरेक्टर एवं कैंसर सर्जन डॉ. यूसुफमेमन, रोटरीक्लब ऑफ रायपुर नार्थ की ओर से अध्यक्ष श्यामसुंदर खंगन, सचिव अशोक श्रीवास्तव, रोटरीक्लब ऑफ रायपुर मिलेनीयम की ओर से अध्यक्ष अरविंद जोशी, पास्टप्रेसीडेंटरोटेरियन सुबोध टोले, श्रीमती विशाखा तोप खाने वाले, महाराष्ट्र मण्डळ रायपुर की ओर से अध्यक्ष अजय काले सचेतक रविद्रठेंगडी, एवं वायएमएस यूथ फाउंडेशन से अशोक श्रीवास्तव, महेंद्र सिंगहोरा, सुरेश छाबड़ा, अमित जैन एवं कैंसर सर्जन डॉ. अर्पण चतुर्मोहता, रक्त रोग एवं ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल, कैंसर सर्जन डॉ. दिवाकर पांडेय, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. राकेश मिश्रा, क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अनिकेत ठोके, एवं क्षेत्र के जागरूक नागरिक शामिल थे। इस अवसर पर रोटरीक्लब रायपुर नॉर्थ, महाराष्ट्र मण्डळ रायपुर, एवं वायएमएस यूथ फाउंडेशनके सदस्यों ने संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के फाउंडरडॉ.यूसुफमेमन का श्रीफल से सम्मान किया।

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डॉ. युसूफ मेमन ने बताया कि तंबाकू के सेवन से भारत में हर साल 13 लाख से अधिक मौतें होती हैं, जो प्रति दिन 3500 मौतों के बराबर है। तम्बाकू से होने वाली मौतों और बीमारियों के अलावा देश के आर्थिक और सामाजिक विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि न केवल तंबाकू का उपयोग कई प्रकार के कैंसर और बीमारियों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है, बल्कि धूम्रपान करने वाले स्वयं अकेले नहीं आसपास के लोग, जिनमें उनके बच्चे, साथी, दोस्त, सहकर्मी और अन्य लोग शामिल हैं, उन्हें भी तंबाकू के धुएं से कैंसर हो सकता है।

डॉ. अर्पण चतुर्मोहता ने बताया कि जब तंबाकू के हानिकारक प्रभावों पर आमतया लोग केवल फेफड़ों के कैंसर के बारे में सोचते हैं। हालांकि तंबाकू का सेवन (सिगरेट और सिगार सहित) फेफड़ों के कैंसर के दस में से नौ मामलों का कारण बनता है, इस बात की जागरूकता जरूरी है कि तम्बाकू का उपयोग आपके शरीर में लगभग कहीं भी, मूत्राशय(ब्लैडर), रक्त और फेफड़े (एक्यूटमायलोइडल्यूकेमिया) सहित कैंसर का कारण बन सकता है। गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स), बृहदान्त्र (कोलोन) और मलाशय (रेक्टम), अन्नप्रणाली (इसोफेगस), गुर्दे (ब्लैडर) और रेनलपेल्विस, यकृत (लिवर), फेफड़े, ब्रांकाई और श्वासनली, मुंह और गले, अग्न्याशय (पैंक्रियाज), पेट और आवाज बॉक्स (लैरिंक्स) मानव शरीर के सभी भाग हैं जिनमें टोबैको की वजह से कैंसर हो सकता है।

सीनियर कैंसर सर्जन डॉ दिवाकर पांडे ने साझा किया कि सिगरेट, सिगार और पाइप से निकलने वाले धुएं में कम से कम 70 रसायन कैंसर का कारण बन सकते हैं। जब कोई व्यक्ति उस धुएं में सांस लेता है, तो रसायन उनके ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करते हैं, जहां वे अपने शरीर के सभी हिस्सों में जाते हैं। इनमें से कई रसायन आपके डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो यह नियंत्रित करता है कि आपका शरीर कैसे नई कोशिकाओं का निर्माण करता है और प्रत्येक प्रकार की कोशिका को अपना काम करने के लिए निर्देशित करता है। क्षतिग्रस्त डीएनए, कोशिकाओं को उन तरीकों से बढ़ने का कारण बन सकता है जिनकी अपेक्षा नहीं की जा सकती है। इन असामान्य कोशिकाओं में कैंसर में विकसित होने की काफी संभावना होती है।

डॉ. विकास गोयल ने इस वर्ष के विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम "तंबाकू: हमारे पर्यावरण के लिए खतरा" के बारे में बताते हुए कहा कि तंबाकू विश्व स्तर पर हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है, साथ ही यह पर्यावरण को नष्ट कर रहा है और इसके माध्यम से मानव स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था को भी खतरे में डाल रहा है। तंबाकू उत्पादन, निर्माण और खपत, हमारे पानी, मिट्टी, समुद्र तटों और शहर की सड़कों में, रसायन, पॉयसन, माइक्रोप्लास्टिक सहित सिगरेट के टुकड़े, और ई-सिगरेटअपशिष्ट का कारण बनता है जो कि हमारे पर्यावरण को भारी जानी पहुंचाते हैं। तंबाकू के सेवन से शरीर के लगभग हर अंग में कैंसर होने की संभावना होती है।

डॉ अनिकेत ठोके एवं डॉ राकेश मिश्रा ने साझा किया कि धूम्रपान तम्बाकू सेवन के बहुत से रूपों में से एक है। सिर्फ सिगरेट पीना ही नहीं बल्कि धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पाद, (जैसे कि चबाने वाला तंबाकू) भी कैंसर का कारण बन सकता है, जिसमें एसोफेजिएल, मुंह और गले, और अग्नाशय का कैंसर भी शामिल हैं।  लोगों को तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तंबाकू छोड़ने के बाद के कुछ लाभों को साझा किया। उन्होंने बताया कि  20 मिनट के बाद रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और नाड़ी की दर (पल्सरेट) सामान्य हो जाती है, हमारे शरीर के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर आठ घंटे के बाद सामान्य हो जाता है, दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होने लगता है, 24 घंटे के बाद कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से बाहर निकल जाती है, स्वाद और गंध की इंद्रियों में सुधार होता है, 72 घंटे के बाद सांस लेना आसान हो जाता है, फिर हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है। आमतया तीन से नौ महीने बाद, खांसी, सांस की तकलीफ और घरघराहट दूर हो जाती है। दिल का दौरा पड़ने का रिस्क, पांच साल बाद, धूम्रपान करने वालों की तुलना में लगभग आधा हो जाता है। दस वर्षों के बाद, फेफड़ों के कैंसर होने का रिस्क धूम्रपान करने वालों की तुलना में लगभग आधा होने की संभावना होती है।

इस कार्यक्रम में उपस्थित शहर के जागरूक लोगों ने कैंसर विशेषज्ञों के साथ मिलकर स्वयं को तंबाकू उत्पादों से दूर रखने और समाज के लोगों को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया।



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