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20 February 2024   Admin Desk



बाल कैंसर दिवस पर संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन द्वारा SECR रेलवे रायपुर में जागरूकता कार्यक्रम

रायपुर Raipur, Chhattisgarh: अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस के अवसर पर, प्रसिद्ध हेमेटोलॉजिस्ट और हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विकास गोयल, CMS SECR डॉ कासीपथी, क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अनिकेत ठोके, एवं मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. राकेश मिश्रा, ACMS डॉ चंद्रकांत पटेल, डॉ रामकृष्णा ने बच्चों में रक्त कैंसर के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन द्वारा 15 फरवरी, 2024 को SECR रेलवे हॉस्पिटल रायपुर में आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित किया। 

डॉ. विकास गोयल ने बताया कि रक्त कैंसर, जिसे ल्यूकेमिया भी कहा जाता है, एक प्रकार का कैंसर है जो अस्थि मज्जा में रक्त बनाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करता है। प्रारंभिक निदान और उपचार से बचने की संभावना में काफी सुधार हो सकता है। उन्होंने साझा किया कि बच्चों में ल्यूकेमिया के लक्षणों में थकान, बार-बार संक्रमण, बुखार, आसानी से चोट लगना या खून बहना और हड्डी और जोड़ों में दर्द शामिल हो सकते हैं। बच्चों में ल्यूकेमिया के उपचार में आमतौर पर कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा और बोनमैरोट्रांसप्लांटेशन शामिल होते हैं।

डॉ. अनिकेत ठोके ने बताया कि बच्चों में बोनट्यूमर भी चिंता का कारण हो सकता है। हड्डी के ट्यूमर के कुछ सामान्य लक्षणों में हड्डी में दर्द, प्रभावित क्षेत्र के पास सूजन या कोमलता, और असामान्य गांठ या लंप शामिल हो सकते हैं। बोन कैंसर वाले लगभग 90 प्रतिशत बच्चों का इलाज अंग-बचाने वाली और पुनर्निर्माण सर्जरी के साथ किया जा सकता है। बच्चों में हड्डी के ट्यूमर के लिए उपचार के विकल्प ट्यूमर के प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं और इसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा या इन तरीकों का संयोजन शामिल हो सकता है।

डॉ. राकेश कुमार मिश्रा बताते हैं कि विल्म्सट्यूमर एक प्रकार का किडनी कैंसर है जो बच्चों में होता है। विल्म के ट्यूमर के कुछ लक्षणों में पेट में दर्द, पेट में लंप या गांठ, बुखार और मूत्र में रक्त आना, शामिल हो सकते हैं। अगर इसका ट्रीटमेंट सही समय पर नहीं करवाया जाए, तो विल्म का ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है और इलाज करना अधिक कठिन हो जाता है। उन्होंने आगे बताया की आजकल सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए एचपीवीवैक्सीनेशन उपलब्ध है जिसे 9 से 15 वर्ष की बच्चों को लगवा कर भविष्य में उन्हें सर्वाइकल कैंसर के होने के खतरे से उन्हें बचाया जा सकता है। वैसे इसका सबसे बेहतर असर कम उम्र के बच्चों में पाया गया है पर इसे सिर्फ बच्चों में ही नहीं बल्कि खासकर अविव्याहित महिलाओं में भी लगाकर काफी हद तक सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है।

डॉ. कासीपथी एवं डॉ चंद्रकांत पटेल ने बताया की विश्व बाल कैंसर दिवस मनाने का उद्देश्य बच्चों में होने वाले के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना, शुरुआती पहचान और उपचार के महत्व के बारे में जानकारी देना है। उन्होंने कहा की सबसे पहले परिजनों को बच्चों में होने वाले कैंसर और उनके लक्षणों, संकेतों के बारे में जागरूक करना जरूरी है, ताकि ऐसे संकेत मिलने पर जल्दी से जल्दी इलाज शुरू किया जा सके। सही समय पर पता चलने और इलाज शुरू होने से कैंसर का पूर्ण इलाज संभव है।

डॉ. गोयल, डॉ. ठोके और डॉ. मिश्रा ने सलाह दी कि यदि आप अपने बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण देखते हैं, तो जल्द से जल्द चेकअप करवाना व डॉक्टरी परामर्श लेना जरूरी है।

कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने आयोजकों को बचपन के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों और इस विनाशकारी बीमारी से प्रभावित बच्चों और परिवारों की देखभाल और सहायता प्रदान करने में हेल्थकेयरवर्कर्स की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।



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