रायपुर RAIPUR: संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के द्वारा प्रोस्टेट कैंसर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन शनिवार, 19 अगस्त को किया गया। इस कार्यक्रम में मुंबई के प्रसिद्ध यूरोसर्जन डॉ टी बी युवराजा, संजीवनी फाउंडेशन के फाउंडर एवं वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ यूसुफ मेमन, क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अनिकेत ठोके, वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ अर्पण चतुर्मोहता व डॉ दिवाकर पांडेय, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ राकेश मिश्रा, रेडियोलॉजिस्ट डॉ सतीश देवांगन व डॉ रमेश कोठारी, कैंसर सर्जन डॉ विवेक पटेल, न्यूक्लियर मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ अभिराम जी अश्वतनाथन व डॉ हिमांशु बंसल एवं ने लोगों में प्रोस्टेट कैंसर संबंधी जानकारी देकर जागरूकता फैलाई। इस कार्यक्रम में शहर के जागरूक नागरिकों ने भी उत्साह से हिस्सा लेकर जागरूकता कार्यक्रम का लाभ लिया।
डॉ. टी बी युवराजा ने बताया की प्रोस्टेट कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो प्रोस्टेट ग्रंथि मे होता है। प्रोस्टेट कैंसर तब शुरू होता है जब प्रोस्टेट ग्रंथि में कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं।प्रोस्टेट एक ग्रंथि है जो केवल पुरुषों में पाई जाती है। यह कुछ तरल पदार्थ का उत्पादन करता है जो वीर्य को बनाने मे मदद करता है।प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है। हालांकि, कई प्रोस्टेट कैंसर अधिक आक्रामक होते हैं और प्रोस्टेट ग्रंथि के बाहर फैल सकते हैं, जो की घातक हो सकता है।
डॉ. यूसुफ मेमन ने बताया की यदि स्क्रीनिंग परीक्षणों या लक्षणों के वजह से प्रोस्टेट कैंसर का संदेह है, तो सुनिश्चित करने के लिए टेस्ट या जाँच की ज़रूरत होगी। इसकी जांच विशेषज्ञ द्वारा चिकित्सा इतिहास और शारीरिक टेस्ट, पीएसए ब्लड टेस्ट, प्रोस्टेट बायोप्सी, प्रोस्टेट कैंसर के लिए इमेजिंग टेस्ट एवं मैग्नेटिक रेसोनन्स इमेजिंग (एमआरआई) द्वारा को जाती है।
डॉ. अर्पण चतुर्मोहता एवं डॉ दिवाकर पांडेय ने प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण के बारे में जानकारी देते हुए कहा की ज्यादातर मामलों में, प्रोस्टेट कैंसर में पेशाब करने मे मुश्किल या जलन होना, बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना, खासकर रात में, मूत्र या वीर्य में खून आना, मूत्र करने मे दर्द होना, कुछ मामलों में, स्खलन पर दर्द, इरेक्शन करने या बनाए रखने में कठिनाई, बैठने पर दर्द या बेचैनी, अगर प्रोस्टेट बढ़ गया है, हड्डी मे दर्द होना आदि लक्षण हो सकते हैं।
उन्होंने प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के बारे में बताया की एक्टिव सर्वेलेंस, सर्जरी, रेडीएशन थेरपी, क्रायोथेरेपी, हार्मोन थेरपी, कीमोथेरपी, इम्म्यूनोथेरपी एवं टारगेट थेरपी द्वारा आमतया प्रोस्टेट कैंसर का इलाज किया जाता है। वर्तमान में रोबोटिक सर्जरी द्वारा भी इसका बेहतर इलाज उपलब्ध है और साथ ही ल्यूटिशियम थेरेपी द्वारा द्वारा एडवांस्ड स्टेज में भी इसका इलाज किया जा सकता है।
डॉ. अनिकेत ठोके एवं डॉ राकेश मिश्रा ने बताया की प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम कारक मे ज्यादा उम्र होना, पारिवारिक इतिहास होना, स्तन और ओवेरियन कैंसर का पारिवारिक इतिहास, अधिक वसा वाला खाना, मोटापा है। योग और एक्सरसाइज से अपने वजन को सही रखना जरूरी होता है ताकि कैंसर जैसी कोई बिमारी कभी ना हो सके।
डॉ. सतीश देवांगन, डॉ रमेश कोठारी, एवं डॉ विवेक पटेल ने बताया की कुछ सावधानी रखते हुए इसके जोखिम को कम किया जा सकता है, जैसे कम वसा, उच्च सब्जियों और फलों से बना एक स्वस्थ आहार प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। पीएसए ब्लड टेस्ट और शारीरिक परीक्षा के साथ नियमित जांच, प्रारंभिक अवस्था में प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए जरूरी है। 50 वर्ष के बाद कुछ महिने पर नियमित फुल बॉडी चेक-अप कराये, अगर युरिन करते वक़्त किसी भी तरह की दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से मिले या स्क्रीनींग कराये।अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और सामान्य रूप से बीमारी को रोकने के लिए एक स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम भी जरूरी हैं।
डॉ. अभिराम जी ए एवं डॉ हिमांशु बंसल ने बताया की यह एक प्रकार का रेडिएशन (विकिरण) है जो विशेष रूप से प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं की सतह पर पीएसएमए नामक एक अणु को टारगेट करता है। ये शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं पर अंधाधुंध हमला किए बिना कैंसर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और मार सकता है। ये प्रोस्टेट कैंसर से बचने की दर और जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार करने के साथ-साथ एडवांस्ड स्टेज के प्रोस्टेट कैंसर को काबू करने में काफी मददगार साबित हुए हैं।
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