Home >> State >> Uttar Pradesh

Bharatiya digital news
05 January 2025   bharatiya digital news Admin Desk



UP:लखनऊ "शान-ए-अवध" (Shaan-e-Awadh) में दिखी अवध की साझी विरासत

नव भारत निर्माण समिति- बनारस लिट फ़ेस्ट आयोजक मण्डल की ओर से "काशी और अवध की साझी विरासत" पर आधारित "शान-ए-अवध" का आयोजन

संवाददाता सन्तोष उपाध्याय 

लखनऊ: नव भारत निर्माण समिति- बनारस लिट फ़ेस्ट आयोजक मण्डल की ओर से "काशी और अवध की साझी विरासत" पर आधारित "शान-ए-अवध" का आयोजन रविवार 5 जनवरी को गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे ऑडिटोरियम में किया गया। इसमें अवध की साझी विरासत बिम्बित हुई। उत्सव की प्रथम कड़ी के रूप में अरुणिमा मिश्रा के संयोजन में हुए “हुनर के सरताज” कार्यक्रम में अदिति और आशीष के साथ ही उपेन्द्र ने मधुर गीत सुनाए। प्रतिभा, आमिर, रमाकांत की कविताओं को भी श्रोताओं की तालियां मिलीं। पायल ने प्रभावी नृत्य किया। मनीषा गुप्ता की पेन्टिंग को भी दर्शकों की प्रशंसा मिली।औपचारिक उद्घाटन सत्र के उपरांत “हम फिदा-ए-लखनऊ” सत्र में सामूहिक परिचर्चा हुई। इसमें अमित हर्ष के संयोजन में वरिष्ठ इतिहासकार रवि भट्ट, साहित्यविद् अखिलेश और मशहूर किस्सागो हिमांशु बाजपेई ने लखनऊ के सांस्कृतिक फलक पर अपने विचार प्रकट किए। इसमें उन्होंने बताया कि लखनऊ को किन कारणों से वैश्विक पहचान मिली है।

भारत-तिब्बत सम्बन्ध पर हुए टॉक में शो विनय सिंह और मेजर जनरल ए.के.चतुर्वेदी ने मूल्यवान जानकारियां दीं। सम्मान समारोह के उपरांत साक्षात्कार सत्र में पद्मश्री विद्या विन्दु सिंह और वरिष्ठ रंगकर्मी गोपाल सिन्हा ने भाग लिया। नाटक “एक दिन की छुट्टी” का मंचन नवीन श्रीवास्तव के निर्देशन में किया गया। राजेंद्र शर्मा द्वारा लिखित यह हास्य नाटक लोगों को झूठ न बोलने का संदेश देता है। कथासार के अनुसार नाटक का केन्द्रीय पात्र “विजय”अपने कार्यालय से झूठ बोलकर एक दिन का अवकाश ले लेता है। कहानी में तब हास्यजन्य स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जब विजय का बॉस, विजय के घर आ जाता है। नाट्यांत में उसका झूठ पकड़ा जाता है। 

हम फिदा-ए-लखनऊ कवि सम्मेलन और मुशायरा में डॉ. हरिओम, सूर्यपाल गंगवार, मुकुल महान, श्लेष गौतम, सोनरूपा विशाल, वसीम नादिर, मनीष शुक्ला, विनम्र सेन, डॉ. भावना, डी.बी. सिंह, कृति चौबे, अम्बरीश ठाकुर, बलवंत सिंह, प्रशांत सिंह को आमंत्रित किया गया था। मुकुल महान के संचालन में हुए इस सत्र में सूर्यपाल गंगवार शाम के आकर्षण रहे। उन्होंने सुनाया कि “अजनबी से शहर की पहचान बनकर देखना, संघर्ष की चर्चाओं का एक नाम बनकर देखना”।

वसीम नादिर साहब ने अपने खास अंदाज में पढ़ा कि “आँखों मे तेरी झाँक के फिर जुर्म कर लिया, इस साल भी पुराने कई साल खुल गये”। अम्बरीष ठाकुर ने पढ़ा कि ख़ुद को तलाशते हैं तेरे आस पास हम, तू ग़म-ज़दा है और तेरे ग़म-शनास हम”। मनीष शुक्ला ने सुनाया कि “बात करने का हसीं तौर-तरीक़ा सीखा, हम ने उर्दू के बहाने से सलीक़ा सीखा”। अभिषेक तिवारी ने सुनाया कि “मेरे अंदर दर्द ओ ग़म के जाने कितने साए हैं, जुगनू यादों के सब इस जंगल में रहने आए हैं”।

डॉ. भावना श्रीवास्तव ने सुनाया कि “जिस्म भी क़ैद-ए-बा-मशक़्क़त है, क्या ख़बर कौन कब रिहा होगा”। इसके उपरांत डॉ. सुरभि के दल द्वारा प्रस्तुत कथक नृत्य पेश किया गया जिसमें काशी से अवध तक की स्वर्णिम झांकी पेश की गई। इस क्रम में क्लार्क ग्रुप द्वारा मधुर सुंदर संगीत पेश कर शाम को परवान चढ़ाया।



Advertisement
bharatiya digital news
Photo Gallery

Related Post

Advertisement

Advertisement

Trending News

Important Links

© Bharatiya Digital News. All Rights Reserved. Developed by TechnoDeva